CM ने विधानसभा में पेश की DTC की कैग रिपोर्ट, जानें क्या है पूरा मामला

आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में लंबित इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखने की बीजेपी विधायक लंबे समय से मांग रहे थे

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नई दिल्ली।
दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से संबंधित सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की। पूर्व की आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में लंबित इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखने की बीजेपी विधायक लंबे समय से मांग रहे थे। सोमवार को मुख्यमंत्री ने डीटीसी से संबंधित सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए। सीएजी ने ऑडिट में पाया की डीटीसी ने कोई व्यवसाय योजना या परिप्रेक्ष्य योजना तैयार नहीं की थी। अपने घाटे को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न भौतिक और वित्तीय मापदंडों के संबंध में लक्ष्य निर्धारित करने के लिए दिल्ली सरकार के साथ कोई समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किया गया था। इसने अन्य राज्य परिवहन उपक्रमों के मापदंडों के साथ अपने प्रदर्शन को बेंचमार्क नहीं किया। इसके अलावा, डीटीसी ने लाभ कमाने के लिए कोई अध्ययन नहीं किया था, जबकि यह लगातार घाटे में चल रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2015-23 की अवधि के दौरान डीटीसी का बेड़ा 4,344 (2015-16) से घटकर 3,937 बसें (2022-23) रह गया। फंड उपलब्ध होने के बावजूद डीटीसी 2021-22 और 2022-23 के दौरान केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें (ईबी) खरीद सकी। डीटीसी बेड़े में ईबी को जोडऩे में देरी हुई, जिसके लिए ऑपरेटरों पर देरी से डिलीवरी के लिए 29.86 करोड़ की राशि का जुर्माना नहीं लगाया गया। वर्ष 2015-22 के दौरान डीटीसी में लो फ्लोर ओवरएज बसों की संख्या 0.13 प्रतिशत (पांच बसें) से बढक़र 17.44 प्रतिशत (656 बसें) हो गई, जो 31 मार्च 2023 तक इसके कुल बेड़े का 44.96 प्रतिशत (1,770 बसें) हो गई। यदि डीटीसी नई बसें खरीदने के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं करता है, तो ओवरएज बसों का अनुपात और भी बढ़ जाएगा। डीटीसी के बेड़े के उपयोग और वाहन उत्पादकता के मामले में देशभर की औसत की तुलना में डीटीसी की परिचालन क्षमता कम रही। डीटीसी का बेड़े का उपयोग 76.95 प्रतिशत से 85.84 प्रतिशत तक रहा।
बसों की संख्या कम होने के साथ ही फेरों की संख्या भी घटी
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2015-22 के दौरान प्रतिदिन एक बस का परिचालन 180 किलोमीटर (किमी) से लेकर 201 किलोमीटर तक रही, जबकि लक्ष्य 189 से 200 किलोमीटर प्रति बस था। इसका कारण बसों का बार-बार खराब होना और 31 मार्च 2022 तक इसके बेड़े में 656 पुरानी बसें होना था। बस रूटों की प्लानिंग में कमी थी। 31 मार्च 2022 तक निगम 814 रूटों में से 468 रूटों (57 प्रतिशत) पर परिचालन कर रहा था। डीटीसी अपने द्वारा संचालित किसी भी रूट पर अपनी परिचालन लागत वसूलने में असमर्थ रहा।  परिणामस्वरूप, 2015-22 के दौरान परिचालन पर उसे 14,198.86 करोड़ का परिचालन घाटा हुआ। इस दौरान ब्रेकडाउन की संख्या बढऩे से 668.60 करोड़ के संभावित राजस्व का नुकसान हुआ। मार्च 2021 में 3,697 बसों में सीसीटीवी सिस्टम लगाया गया और चालू किया गया और ठेकेदार को 52.45 करोड़ का भुगतान जारी किया गया, लेकिन सिस्टम का परीक्षण लंबित रहने के कारण इसे चालू नहीं किया गया। इस प्रकार, मई 2023 तक बसों में यह प्रणाली पूरी तरह से चालू नहीं हो पाई। दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट सिस्टम लिमिटेड (डीआईएमटीएस) द्वारा संचालित क्लस्टर बसों का प्रदर्शन, क्लस्टर बसों के प्रदर्शन की तुलना में प्रति किलोमीटर परिचालन राजस्व को छोडक़र हर परिचालन पहलू में बेहतर था, भले ही दोनों एक ही शहर में और समान परिस्थितियों में चल रहे थे। डीटीसी के पास किराया निर्धारण की स्वायत्तता नहीं है, जिसके कारण वह अपनी परिचालन लागत पूरी तरह वसूल नहीं कर पा रहा है। डीटीसी की बसों का किराया आखिरी बार संशोधित किया गया था और 3 नवंबर 2009 से प्रभावी हुआ था। इसकी भरपाई के लिए, वार्षिक राजस्व अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करता है और रियायती पास के लिए प्रतिपूर्ति और महिला यात्रियों द्वारा मुफ्त यात्रा के लिए सब्सिडी देता है. परिवहन विभाग से वसूलने के लिए डीटीसी के पास 225.31 करोड़ रुपए बकाया थे, जो क्लस्टर बसों के संचालन व पार्किंग के लिए हस्तांतरित स्थान के लिए प्राप्त न हुए किराए, सेवा कर और जल शुल्क के रूप में थे। इसके अलावा, इन डिपो पर 6.26 करोड़ रुपए का संपत्ति कर और ग्राउंड रेंट तथा परिवहन विभाग को वाहन उपलब्ध कराने में 4.62 करोड़ रुपए भी वसूल नहीं किए गए।
सीएजी ने इस कारण किया यह ऑडिट  
दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की स्थापना 1971 में सडक़ परिवहन निगम अधिनियम, 1950 के तहत एक वैधानिक निगम के रूप में की गई थी, जिसे दिल्ली सडक़ परिवहन कानून (संशोधन) अधिनियम 1971 द्वारा संशोधित किया गया था, ताकि दिल्ली में एक कुशल, किफायती और उचित रूप से समन्वित सडक़ परिवहन सेवा प्रदान की जा सके। 31 मार्च 2022 तक डीटीसी की 36 डिपो में 3,762 बसों का बेड़ा था। इसने प्रतिदिन औसतन 15.62 लाख यात्रियों ने सफर किया।
हाईकोर्ट ने 11 हज़ार बसों लाने का दिया था आदेश: सिरसा
रिपोर्ट पेश होने के बाद इस पर शुरू हुई चर्चा में बीजेपी विधायक हरीश खुराना ने कहा सीएजी की रिपोर्ट में प्राइवेट बस ऑपरेटर को अनुचित तरीके से बढ़ावा देने पर भी सवाल उठाए गए हैं। आप सरकार ने दावे तो बहुत किए, लेकिन उसे खोखला कर दिया। डीटीसी जब दिल्ली सरकार को ट्रांसफर हुआ था तब घाटा शून्य था। आज 8498 करोड़ रुपए के नुकसान में है। यह बड़ी वित्तीय अनियमितता है। दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने चर्चा में कहा कि हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को 11 हज़ार बसों लाने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। वहीं, नेता विपक्ष आतिशी ने कहा कि यह रिपोर्ट आज आई है इसे ठीक से पहले पढ़ लिया जाए, उसके बाद इस पर चर्चा हो तो अच्छा रहेगा।

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