CM योगी ने जारी की 384 नर्सिंग व 295 पैरामेडिकल कॉलेजों की रेटिंग,इनमें निजी और सरकारी दोनों कॉलेज शामिल

उत्तर प्रदेश नर्सिंग व पैरामेडिकल के सभी संस्थाओं का एक्रीडिटेशन वाला पहला राज्य बना

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औपचारिक रूप से राज्य के 384 नर्सिंग और 295 पैरामेडिकल कॉलेजों की रेटिंग जारी की। इनमें निजी और सरकारी दोनों कॉलेज शामिल हैं। ये मूल्यांकन उत्तर प्रदेश राज्य चिकित्सा संकाय की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। यह कदम कॉलेजों को अपनी गुणवत्ता आंकने के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करेगा और उनके शिक्षण और प्रशिक्षण पद्धतियों में सुधार करने के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश नर्सिंग व पैरामेडिकल के सभी संस्थाओं का एक्रीडिटेशन करने वाला पहला राज्य बना है। चिकित्सा शिक्षा में प्रधान सचिव आलोक कुमार ने यह जानकारी दी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने नर्सिंग व पैरामेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में उत्तर भारत का केन्द्र बनाने का संकल्प लिया था एवं इसके लिए अक्टूबर 2022 में मिशन निरामया: का शुभारम्भ किया गया था। पिछले एक साल में इसके लिए विभाग द्वारा सार्थक प्रयास किया गया है और इसका परिणाम अब सामने भी आने लगा है। इसी कड़ी में आज उत्तर प्रदेश के समस्त नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कालेजों की गुणवत्ता रेटिंग सर्व-सामान्य की जानकारी के लिए प्रकाशित की गई है, यह एक बहुत बड़ा कदम है जिससे कालेजों को जहां एक ओर अपनी गुणवत्ता सुधार करने में सहायता मिलेगी वहीं दूसरी ओर नर्सिंग व पैरामेडिकल क्षेत्र में कैरियर बनाने वाले लगभग 80,000 बच्चों को पारदर्शी तरीके से सुविधा मिलेगी जिससे कि उन्हें सही कालेज में प्रवेश प्राप्त करने में सहायता होगी। नर्सिंग व पैरामेडिकल के समस्त संस्थाओं का एक्रीडिटेशन करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना है।

कॉलेजों की गुणवत्ता की स्थिति को समझने में मिलेगी मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित मूल्यांकन और मूल्यांकन तंत्र राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इस रणनीतिक पहल के माध्यम से, बेंचमार्किंग मापदंडों के संदर्भ में अपने प्रदर्शन को निर्धारित करने के लिए तीसरे पक्ष के मूल्यांकनकर्ता द्वारा समय-समय पर कॉलेजों का मूल्यांकन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह न केवल कॉलेजों को उनकी गुणवत्ता की स्थिति को समझने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें अपने शैक्षणिक मानकों को बढ़ाने और मूल्यांकन की सीढ़ी में आगे बढऩे के लिए भी प्रेरित करेगा। व्यापक दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि संभावित छात्र और अभिभावक कॉलेजों का चयन करते समय जानकारी के आधार पर निर्णय ले सकें, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मांग को बढ़ावा देगा और इसक्षेत्र में और सुधार लाएगा।

प्रमुख एजेंसियों ने दिया सहयोग-ब्रजेश पाठक


डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने इस पहल के लिए झपीगो, यू.पी.टी.एस.यू. और भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यू.सी.आई.) सहित विभिन्न प्रमुख एजेंसियों के साथ सहयोग किया है। मूल्यांकन में भाग लेने के लिए कॉलेजों के लिए एक उपयोगकर्ता के अनुकूल ऐप-आधारित एप्लीकेशन विकसित किया गया था। झपीगो ने तीन स्तंभों के आधार पर एक मूल्यांकन ढांचा और स्कोरिंग रूब्रिक्स तैयार किया इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया और सीखने के परिणाम। यूपीटीएसयू ने मूल्यांकन प्रक्रिया की सटीकता सुनिश्चित करते हुए तकनीकी मार्गदर्शन और सत्यापन प्रदान किया, जबकि क्यूसीआई ने डेस्कटॉप विश्लेषण, निर्देशित महाविद्यालयों, प्रशिक्षित मूल्यांकनकर्ताओं का संचालन किया और पारदर्शिता के लिए बॉडी कैमरों का उपयोग करके व्यक्तिगत रूप से दौरा किया। क्यू.सी.आई. ने डाटा क्लीनिंग और विश्लेषण भी किया, और कॉलेजों के लिए अंकों की समीक्षा करने और एक शिकायत समीक्षा समिति के माध्यम से अपनी शंकाओं के लिए उचित समाधान प्राप्त करने का प्रावधान भी बनाया। श्री पाठक ने कहा कि हमने यह सुनिश्चित किया कि मूल्यांकन टीमों द्वारा व्यक्तिगत यात्राओं के दौरान बॉडी कैमरों के उपयोग को अनिवार्य करके, प्राचार्यों, शिक्षण कर्मचारियों और छात्रों के साथ सभी बातचीत की रिकॉर्डिंग और लाइवस्ट्रीमिंग करके पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखी जाए। ड्राफ्ट रिपोर्ट प्रत्येक कॉलेज के साथ साझा की गई थी, जिससे वे आवंटित अंकों की समीक्षा कर सकते थे और एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर शिकायतें प्रस्तुत कर सकते थे, जिन्हें समाधान के लिए क्यू. सी. आई. द्वारा गठित शिकायत समीक्षा समिति द्वारा संबोधित किया गया था।

राज्य में स्वास्थ्य सेवा शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है

मिशन निरामया का उद्देश्य नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा में पूर्व-सेवा शिक्षा कार्यक्रमों की गुणवत्ता को बढ़ाना है। रेटिंग का एक अहम् हिस्सा है। इसका उद्देश्य राज्य में स्वास्थ्य सेवा शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है ताकि कार्यबल में प्रवेश करने वाले स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। 70 तकनीकी मूल्यांकनकर्ताओं ने शिक्षण सीखने की प्रक्रियाओं, सीखने के परिणामों और तकनीकी प्रलेखन की जांच की और 58 गैर- तकनीकी मूल्यांकनकर्ता ने सामान्य प्रलेखन और इंफ्रास्ट्रक्चर का मूल्यांकन किया। यह दल भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यू.सी.आई.) द्वारा देश भर से चयनित विशेषज्ञों से तैयार किया गया था। डेटा ए.एन.एम., जी.एन.एम., बी.एस.सी., पी.बी.बी. एस.सी. और एम.एस.सी. सहित विभिन्न कार्यक्रमों में उनके प्रदर्शन के आधार पर नर्सिंग कॉलेजों की रेटिंग प्रस्तुत करता है। पैरामेडिक्स के समग्र प्रदर्शन पर मूल्यांकन किया गया है। महाविद्यालयों को पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: ए,बी,सी,डी और ई जो उनकी स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक उपयोगी उपकरण है।

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