संसद में जाली हस्ताक्षर पर बढ़ा विवाद, आप का दावा नहीं हुआ कुछ गलत
प्रवर समिति का संदर्भ केवल एक प्रस्ताव, जिसे कर दिया गया खारिज, गलत तरीके से किया जा रहा है गुमराह
नई दिल्ली
संसद जाली हस्ताक्षर मामले में आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को लेकर विवाद गहरा गया है। इसी बीच आम आदमी पार्टी ने दावा किया है कि राघव चड्ढा ने ऐसा कुछ नहीं किया जो गलत हो, बल्कि विपक्ष इसे बढ़ा—चढ़ाकर गलत तरीके से पेश कर रहा है। सत्ता पक्ष को लगता है कि वह विपक्षी एकता को गुमराह करके तोड़ देंगे।
आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि प्रवर समिति का संदर्भ केवल एक प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव को सदन में स्वीकार या अस्वीकार किया जाना था। इस प्रस्ताव को सदन ने पहले ही खारिज कर दिया। ऐसे में इससे जुड़े मामले में शिकायतकर्ताओं के नाम शामिल करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
राज्यों की परिषद में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम के तहत राघव चड्ढा के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्यों ने जो बाते रखी है उसमें यह कहीं भी प्रावधान नहीं है कि सदस्य की लिखित सहमति की आवश्यकता या उस सदस्य के हस्ताक्षर होना चाहिए जिसका नाम चयन समिति में शामिल करने के लिए प्रस्तावित किया गया है। जब हस्ताक्षर की आवश्यकता ही नहीं है तो जाली हस्ताक्षर का आरोप ही नहीं बनता है। चयन समितियाँ गैर-पक्षपातपूर्ण समितियाँ होती हैं जिनमें सभी प्रमुख दलों के सदस्य शामिल होते हैं। यह लंबे समय से चली आ रही इसमें पक्ष और विपक्ष से सदस्य को शामिल किया जाता है। इससे जुड़े नियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि किसी सदस्यों को समिति का हिस्सा बनने की इच्छा नहीं ह तो उसका नाम वापस लिया जा सकता है।