नई दिल्ली
प्राइवेट अस्पतालों में इलाज काफी महंगा हो गया है। आम और मध्यम वर्गीय परिवार में कोई किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाता है, तो उसे निजी अस्पताल में इलाज के दौरान काफी रुपया खर्च करना पड़ता है। मजबूरी में जहां-तहां से उधार लेना पड़ता है। जेबर से लेकर जमीन तक बेचने पड़ते हैं। यही हाल छोटे और मध्यम व्यापारियों का भी है। चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया को पत्र लिखा है। इसमें गुहार लगाई है कि प्रत्येक इलाज के स्टैंडर्ड रेट तय होने चाहिए। गांव-देहात, कस्बे और छोटे शहरों के सरकारी अस्पतालों में बड़ी बीमारियों का प्रॉपर इलाज नहीं है। मुफ्त स्वास्थ्य जांच नहीं हो पाती हैं। मरीज को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ता है। स्वस्थ जीवन जीने का सभी को अधिकार है। सरकार को इस दिशा में ठोस और कड़े निर्णय लेने होंगे।
बृजेश ने कहा कि केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) में काफी हद तक प्राइस कंट्रोल है। वहीं निजी अस्पतालों के चार्ज पर किसी तरह की रोक नहीं है। CGHS डायलिसिस का रेट 1466 रुपये है, जबकि निजी अस्पतालों में रेट 3 से 4 हजार रुपये है। स्किन की बायप्सी का CGHS में 230 रुपये है, जबकि निजी अस्पताल में 2 से 7 हजार रुपये वसूले जाते हैं। सीटी स्कैन का CGHS में रेट 1600 रुपये है, जबकि निजी अस्पताल में 5 से 7 हजार रुपये है। एमआरआई (ऑर्बिट एंड ब्रेन) का CGHS में 3450 रुपये है, जबकि निजी अस्पताल में 10 से 15 हजार रुपये है। CGHS में रूट कैनाल ट्रीटमेंट 500 रुपये और निजी अस्पताल में 2 से 5 हजार रुपये है। CGHS में इनक्यूबेटर का एक दिन का खर्च 345 रुपये है, जबकि निजी अस्पताल में 5 से 10 हजार का खर्च है। CGHS में वेंटिलेटर का चार्ज 531 रुपये प्रति दिन है, जबकि निजी अस्पताल में 25 से 35 हजार रुपये प्रति दिन है। CGHS में डिलिवरी की सर्जरी चार्ज 14,050 रुपये है, जबकि निजी अस्पताल में 50 हजार से 1 लाख रुपये लिए जाते है।