दिल्ली: नए वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन, मौलाना बोले- लखनऊ पुलिस मस्जिदों में जाकर मांग रही दस्तावेज

नए वक्फ के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ सहित राष्ट्रीय संगठनों का प्रदर्शन

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इंडिन्यूजलाइन, नई दिल्ली/लखनऊ
नए वक्फ कानून के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित देशभर के राष्ट्रीय संगठनों ने मंगलवार को तालकटोरा स्टेडियम में प्रदर्शन किया। इसमें शामिल प्रमुख राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक आदि ने कहा कि यदि सरकारी जमीन पर मंदिर बनाए जा सकते हैं तो अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल क्यों नहीं बनाए जा सकते? इसके लिए सभी ने लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक आंदोलन शुरू करने की जरूरत बताई।

लखनऊ में पुलिस मस्जिदों में जाकर मांग रही दस्तावेज
मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि नए वक्फ कानून को लागू हुए ज़्यादा दिन नहीं बीते हैं, लेकिन लखनऊ में पुलिस मस्जिदों में जाकर दस्तावेज मांग रही है। उन्होंने कहा कि पिछले पच्चीस वर्षों में सैकड़ों मंदिर अवैध रूप से बन गए हैं जिनकी जांच की मांग की जानी चाहिए। इस संबंध में एक कानूनी प्रकोष्ठ होना चाहिए जो इस दिशा में काम करे। औक़ाफ़ की ज़मीनों पर अनगिनत मंदिर बनाये गये हैं, जिनके अनेक उदाहरण लखनऊ में मौजूद हैं। हुसैनाबाद ट्रस्ट की ज़मीनों पर मंदिर बन गए हैं। कर्बला तालकटोरा के रस्ते में हाल ही में कितने मंदिर बन गए हैं, जो ग़ैर क़ानूनी हैं, हमें इन सभी की जांच की मांग करनी चाहिए ताकि असामाजिक तत्व के हौसले पस्त हो सके।

हमें ओवैसी साहब की तरह कानूनी लड़ाई लड़नी होगी
मौलाना ने मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को संबोधित करते हुए कहा कि हमें ओवैसी साहब की तरह कानूनी लड़ाई लडऩी होगी और दिफ़ाई अंदाज़ छोड़ना होगा। ये दिफ़ा का नहीं बल्कि हमलावर होने का वक्त है। और इस राह में पहाड़ो से ज़्यादा मज़बूती की ज़रूरत है। इंशाल्लाह कामयाबी ज़रूर मिलेगी। मौलाना ने आगे कहा कि अब हर मस्जिद में मंदिर और हर फव्वारे में शिवलिंग नजऱ आ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई थाना, पुलिस कोतवाली या सरकारी भवन नहीं है जहां मंदिर न बना हो। क्या केवल हिंदुओं को ही सरकारी भूमि पर अपने पूजा स्थल बनाने का अधिकार है? यदि सरकारी जमीन पर मंदिर बनाए जा सकते हैं तो अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल क्यों नहीं बनाए जा सकते? इसके लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक आंदोलन शुरू करने की जरूरत है।

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