डिप्टी सीएम से पांच बार मिले फिर भी नहीं बढ़ा वेतन, नाराज आउटसोर्सिंग कर्मियों का अब बड़ा ऐलान
लखनऊ के KGMU, SGPGI, लोहिया व कैंसर संस्थान में करीब 16 हजार आउटसोर्सिंग कर्मियों ने दी हड़ताल की चेतावनी
लखनऊ
आचार संहिता से पहले वेतन बढ़ोत्तरी का आदेश नहीं जारी होने से नाराज आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने हड़ताल करने की चेतावनी दी है।
लखनऊ के KGMU, SGPGI, लोहिया व कैंसर संस्थान में करीब 16 हजार आउटसोर्सिंग कर्मियों की हड़ताल से मरीजों को इलाज प्रभावित हो सकता है।
कई माह से लंबित वेतन के आदेश को जारी करने के लिए संविदा कर्मचारी संघ के नेतृत्व में कर्मियों ने रविवार को यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की। वहीं उपमुख्यमंत्री ने इस मामले में प्रमुख सचिव को निर्देश जारी करने का आश्वासन दिया है।
संघ के महामंत्री सच्चिता नन्द मिश्रा ने उपमुख्यमंत्री को अवगत कराया कि पिछले कई माह से वेतन बढ़ोतरी की फाइल शासन में लंबित है। इससे पहले भी संविदा कर्मचारी संघ का प्रतिनिधिमंडल उपमुख्यमंत्री से पांच बार मुलाकात कर वेतन बढ़ाए जाने की अपील कर चुका है। मगर, बड़े खेद का विषय है कि प्रदेश के मुखिया उपमुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लगभग 16 हजार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का वेतन बढ़ोतरी का मामला दबा पड़ा हुआ है।
प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने डिप्टी सीएम से कहा कि आने वाले समय में आचार संहिता लागू होने से वेतन बढ़ोतरी का मामला पुनः रुक जाएगा। इसलिए प्रमुख सचिव चिकित्सा से वार्ता कर वेतन बढ़ोतरी के संदर्भ में उचित निर्देश जारी किया जाए। उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस मामले में प्रमुख सचिव को निर्देश जारी किया जाएगा।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने कहा कि अगर इसके बाद भी वेतन बढ़ोतरी नहीं हुई तो एक साथ केजीएमयू, लोहिया, पीजीआई तथा कैंसर संस्थान में हड़ताल किया जाएगा। क्योंकि कर्मचारी बार-बार उपमुख्यमंत्री जी के आवास पर आकर थक चुके हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जहां एक तरफ सरकार स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित करती है तो वहीं दूसरी तरफ उनकी उपेक्षा भी चरम पर है। चारों प्रदेश का उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थान है। यहां के कर्मचारी काफी आक्रोशित हैं। क्योंकि पिछले कई वर्षों से वेतन बढ़ोतरी नहीं किया गया। जिससे कर्मचारी अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने चेतवानी दी कि अगर किसी समय कर्मचारी हड़ताल पर गए तो पूरे प्रदेश से आने वाले मरीजों की सेवाएं बाधित होगी। जिसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की एवं शासन के अधिकारियों की होगी।