लखनऊ, संवाददाता।
नगर निगम के 22 संविदा कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर कर्मचारी संगठन के सदस्य भड़क गए। सोमवार को नगर निगम कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने निगम मुख्यालय में प्रदर्शन किया। नगर निगम के चीफ इंजीनियर पर तानाशाही का आरोप लगाया। साथ ही कर्मचारियों पर दर्ज एफआईआर वापस लेने की मांग की है।
नगर निगम के मुख्य अभियंता मनोज प्रभात ने निगम के 22 संविदा कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने लिखा है कि ये कर्मचारी हटाए जाने के बावजूद नगर निगम के आरआर विभाग कार्यालय में कब्जा किए हुए हैं। इसकी जानकारी मिलने के बाद दर्जनों कर्मचारी नगर निगम मुख्यालय में डट गए। नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा के नेतृत्व में पहुंचे नेताओं ने कहा कि इन कर्मचारियों का मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। वेतन और नौकरी को लेकर कर्मचारियों ने केस दायर किया है। जब तक अदालत से कोई फैसला नहीं हो जाता है, तब तक नगर निगम को इस तरह उत्पीडऩात्मक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका विरोध किया जाएगा। कर्मचारी महापौर से मिलने के इंतजार में बैठे थे। बाद में कर्मचारी नेताओं की नगर आयुक्त तथा महापौर से वार्ता हुई।
नगर निगम कर्मचारी संघ अध्यक्ष आनंद वर्मा का कहना है कि गोमती नगर थाने में विद्युत यांत्रिक के मुख्य अभियंता मनोज प्रभात द्वारा उच्च अधिकारियों की स्वीकृति के बिना अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों पर मनगढ़ंत एवं निराधार झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को 2018 से वेतन नहीं मिल रहा है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। ऐसे में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना गलत है। आनंद वर्मा ने इस कार्रवाई पर कहा कि जो जबरा मारे भी और रोने भी न दे की कहावत चरितार्थ हो रही है। जो अत्यंत ही दुखद एवं निंदनीय है।
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इन कर्मचारियों से नगर निगम कोई काम नहीं ले रहा है। इन्हें वर्ष 2018-19 में ही हटा दिया गया था। ये सभी कार्यदाई संस्था से लगे हुए थे। लोगों ने फर्जी तरीके से जबरन अलग रजिस्टर बनाकर उस पर हस्ताक्षर किया।