Rapid Rail के लिए सरकार द्वारा फंड जारी न करना दिल्ली की बिगड़ती सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर कुठाराघात – अरविन्दर सिंह लवली

मंत्री और नौकरशाह आरोप-प्रत्यारोप बंद करके दिल्ली जल बोर्ड कर्मचारियों की समस्या का निदान करें

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नई दिल्ली

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष  अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट को रैपिड रेल परियोजना में राज्य के 415 करोड़ रुपये के योगदान का भुगतान न करने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगानी पड़ी है। और यह चेतावनी दी कि यदि दिल्ली सरकार ने रैपिड रेल परियोजना के लिए अपने वित्तीय दायित्व को पूरा नहीं किया तो दिल्ली के विज्ञापन फंड को स्थानांतरित करके रैपिड रेल परियोजना को अदायगी की जाऐगी।

लवली ने कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन खस्ताहाल है, दिल्ली सरकार को रैपिड रेल परियोजना में पूरा सहयोग करना चाहिए था, क्योंकि परियोजना के समय पर पूरा होने से दिल्ली के लाखों परेशान यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में राजधानी में सार्वजनिक परिवहन में जल्द सुधार की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तरफ दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था नाकाफी होने की वजह से लोगों को अपने नीजि वाहनों का ज्यादा प्रयोग करना पड़ता है जिससे दिल्ली में दमघोटू प्रदूषण कहर ढा रहा है और दूसरी ओर दिल्ली सरकार परिवहन साधनों के विकल्प तलाशने की जगह रैपिड रेल परियोजना पर अपनी वित्तिय हिस्सेदारी की अदायगी न करना  पूरी तरह निष्क्रियता को दर्शाता है।उन्होंने कहा कि डीटीसी और क्लस्टर बस बेड़ा दिल्ली की जरुरत से काफी कम है और मेट्रो रेल परियोजना अपने तय समय से पांच साल पीछे चल रही है, जिसके लिए दिल्ली सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है।

लवली ने कहा कि दिल्ली सरकार और भाजपा की केन्द्र सरकार दिल्ली की समस्याओं पर बिलकुल भी ध्यान नही दे रही है और हर मुद्दे का समाधान निकालने की बजाय आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करते है, यदि जनता से जुड़े मुद्दों पर 10 प्रतिशत भी सकारात्मकता के साथ काम करें तो दिल्ली वासियों को समस्याओं से निदान मिलना शुरु हो जायेगा। उन्हांने कहा कि बाढ़, प्रदूषण और छठ पूजा जिसका जीता जागता उदाहरण है जिन पर समय रहते दोनो सरकारों ने काम नही किया जिसके कारण दिल्ली की जनता परेशानियों को झेल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि दिल्ली सरकार की धमकी है कि अगर दिल्ली जल बोर्ड को फंड नहीं दिया गया तो दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे। जिसे मुख्य सचिव के आदेश पर वित्त सचिव ने रोक दिया है। मंत्री द्वारा जारी किया गया बयान पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्रियों और नौकरशाहों को आरोप-प्रत्यारोप बंद करके लोगों के हित और कल्याण के लिए काम करना चाहिए, न कि मंत्री खुद धमकी दे रही हैं कि अगर दिल्ली जल बोर्ड कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया तो लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा और सीवर बह जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह मंत्री के गैर-जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है कि दिल्ली की मंत्री और नौकरशाहों के बीच अंदरूनी लड़ाई को सार्वजनिक करके अपनी जिम्मेदारी से भागने और लोगों को परेशानी में डालने की धमकी दे रहे है जबकि इन्हें समस्या को निदान करना चाहिए। श्री लवली ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में दिल्ली जल बोर्ड का घाटा 60,000 करोड़ तक पहुॅच गया है जबकि कांग्रेस की दिल्ली सरकार के समय दिल्ली जल बोर्ड मुनाफे में चलता था।

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