दिल्ली सरकार के बजट से नाराज स्वास्थ्यकर्मी , कई हजार करोड़ की देखी गई कमी
संगठन अध्यक्ष विजय कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार असपताल तो खोल रही लेकिन, अभी तक कोई स्थाई भार्ती नहीं लाई गई है। ना ही अनुबंधन कर्मचारियों को पक्का किया गया
नई दिल्ली
दिल्ली सरकार द्वारा स्वस्थ्य में बजट कम होने पर नेशनल पब्लिक हेल्थ एलाइंस (NPHA) ने नाराजगी जताई। इससे पहले स्वस्थ्य में बजट बढ़ाने की मांग को लेकर कर्मचारियों फेडरेशनों और अस्पताल यूनियनों ने 6 अप्रैल 2023 विश्व स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर सैंकड़ों, कर्मचारियों ने मार्च निकाल कर ज्ञापन सौंप था। संगठन अध्यक्ष विजय कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार अस्पताल तो खोल रही लेकिन, अभी तक कोई स्थाई भार्ती नहीं लाई गई है। ना ही अनुबंधन कर्मचारियों को पक्का किया गया । उन्होंने कहा कि एक फोर्स बॉर्डर पर देश की रक्षा में तैनात होती है और दूसरी फोर्स जनता के स्वास्थ्य की रक्षा में दिन-रात अपनी सेवाएं देती है ।ऐसी सेवाओं का बजट घटाना किसी भी तरीके से उचित नहीं है ।सरकार ने कोविड़-19 से भी सबक नहीं लिया जिसमें देश की जनता ने बिमारी के चलते और और स्वास्थ्य सुविधाओं केअभाव में अपने देश की जनता प्राण गवाऐं। और स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सेवा करते हुए एक शहीद की तरह अपने प्राण गए। ऐसी समय में सरकारी अस्पताल के कर्मचारी ही अपनी सेवाएं दी दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों ने मरीज के लंबे बील बनाकर इलाज के नाम पर खूब पैसा कमाया । एनपीएचए आम जनता और स्वास्थ कर्मचारीयों की मांगों को शांतिपूर्ण उचित माध्यम द्बारा संवैधानिक तरीके से सरकार तक पहुंचाने का प्रयास करते रहे हैं अगर सरकार शांतिपूर्ण तरीके कर्मचारी हित में उचित कदम नहीं उठाती और कांटेक्ट कर्मचारियों को जल्दी ही बिना शर्त के पक्का करने का कार्य नहीं करती तो एनपीएचए दिल्ली को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
इस दौरान WHO के अनुसार भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट में लगातार गिरावट जारी है अभी दिल्ली सरकार पिछला बजट 9742 करोड़ था जोकि इस बार घटाकर ने स्वास्थ्य विभाग का बजट 8685 करोड़ किया है जिसको कई भाग में बांटा गया है एंबुलेंस के लिए 194 करोड़, मोहल्ला क्लीनिक के लिए 212 करोड़, मेंटेनेंस के लिए 6215 करोड़, इक्विपमेंट के लिए 658 करोड़ , नए हॉस्पिटल एंड एक्सपेंशन के लिए 400 करोड़ ,जो कि पिछले साल के बजट से लगभग एक हजार सत्तावन करोड़ कम कर दिया है ।जिससे दिल्ली सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में लागू की जाने वाली नीतियों और जनता को स्वास्थ्य सेवा से महरूम करने की ओर कदम बढ़ा रही हैं सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे संस्थानों मे पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए जो सरकारी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ( PPP ) पर बढ़ावा देने की मंशा जाहिर होती है , स्वास्थ्य क्षेत्र में आउटसोर्सिग , अनुबंध (कांटेक्ट )कर्मचारियों को पक्का करो, एन.पी.एस की जगह ओ.पी.एस को लागू करो, स्थाई भर्ती जैसी मांगों का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा । जबकि NPHA जोरदार ढंग से अस्पताल के मरीजों और कर्मचारियों के हितो को देखते हुए बड़े शांतिपूर्ण तरीके अपने कार्यस्थल पर बैंज लगाकर कार्य करते हुए अपनी बात अपनी मांग जनता और सरकार तक पहुंचाने एक प्रयास करता रहा है । एन.पी.एच.ए.के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार ने कहा की सरकार बड़ी-बड़ी बातें और पॉलिसी लाकर हवा हवाई बातें करती है कि हम सभी सुविधाओं से लैस सरकारी अस्पताल खोल रहे हैं फिर सरकारी अस्पताल में लंबी तारीखें क्यों ??और प्राइवेट अस्पतालों में ऑपरेशन और इन्वेस्टिगेशन प्राइवेट हॉस्पिटलों क्यों कराए जा रहे हैं ?? यहां तक के सरकारी अस्पताल में प्राइवेट SRL लैब के कर्मचारियों को सैंपल लेने के लिए भी लगाया गया है ।इससे साफ जाहिर है कि प्राइवेट हॉस्पिटल और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचने का कार्य करते हुए धीरे-धीरे सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं और अस्पताल खत्म होने के कगार पर आ जाएंगे। क्योंकि ना ही बजट होगा ,नहीं मशीन लगाई जाएगी ।जो नई अस्पताल खोले हैं उनमें ना ही स्थाई भर्ती की जाऐगी। जमीनी तौर पर जनता और कर्मचारियों के हित में कोई भी उचित निर्णय नहीं देखने को मिलेगा।