हिन्दू महासभा नहीं होती तो शायद राम मंदिर पर फैसला नहीं आता- ऋषि त्रिवेदी

अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हिन्दू महासभा की देन

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लखनऊ रिपोर्टर।

हिन्दू महासभा नहीं होती तो शायद सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण का फैसला नहीं आता। अखिल भारत हिन्दू महासभा और निर्मोही अखाड़ा, मात्र दो लोगों ने ही 1949 से राम मंदिर का मुकदमा लड़ा था। जिसकी वजह से ही सुप्रीम कोर्ट से जीत हासिल हुई।
यह कहना है हिन्दू महासभा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी का। ऋषि कुमार त्रिवेदी ने बताया, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हिन्दू महासभा की देन है। वही पक्षकार कोर्ट में केस लड़ रहे थे। हिन्दू महासभा नहीं होती तो शायद यह फैसला नहीं आता।
वहीं ऋषि कुमार त्रिवेदी ने कहा, दुर्भाग्य है कि राम मंदिर निर्माण से लेकर उद्घाटन तक के लिए हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज जी या अन्य किसी को आमंत्रित नहीं किया गया। यहां तक कि ट्रस्ट में भी हमारे पार्टी के किसी पदाधिकारी को सदस्य नहीं बनाया गया।
दरअसल, पहली बार देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग करने वाली पार्टी अखिल भारत हिन्दू महासभा ने इस लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश के 27 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारें हैं।
यूपी अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी का कहना है, अभी और भी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहा, हिन्दू महासभा का एक ही नारा है, “हिन्दू का साथ, हिन्दू का विकास और हिंदुत्व का विश्वास।”
ऋषि कुमार त्रिवेदी ने बताया, हिन्दू महासभा हिन्दुओं की पहली पार्टी है। जिसकी स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1915 में की थी। वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु महंत दिग्विजय नाथ भी हिन्दू महासभा से सांसद हुए। यह बहुत ही पुरानी पार्टी है। जो केवल हिंदुत्व पर कार्य करती है।
ऋषि कुमार त्रिवेदी ने बताया, स्पष्ठ है हिन्दू महासभा ने 1915 में ही हिन्दू राष्ट्र बनाने की घोषणा की थी। जब हमारा देश बंटवारे के कगार पर पहुंचा। जब यह स्थिति आयी तो मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। वैसे ही दो साल बाद हिन्दू महासभा ने उसी समय जय हिन्दू राष्ट्र का नारा दिया था। जब मुस्लिम राष्ट्र बना तो हिन्दू राष्ट्र की भी मांग होने लगी। तभी से आज तक हिन्दू राष्ट्र के लिए हिन्दू महासभा संघर्ष कर रही है।
ऋषि कुमार त्रिवेदी बताते हैं, 1949 में पहली बार हिन्दू राष्ट्र की मांग हिन्दू महासभा ने ही उठाई थी।

 

 

 

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