Indinewsline, Lucknow:
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लखनऊ के मुस्लिम समाज में आक्रोश है। इमामबाड़ा में कैंडल मार्च से विरोध जताते हुए अत्याचार पर तत्काल रोक लगाने की मांग उठाई। शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की खबरें सुनाई देती हैं, तो लखनऊ के मुसलमानों का दिल दर्द से भर जाता है। यह तड़प केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह एक गहरी संवेदनशीलता और मानवता के लिए खड़े होने की भावना से उत्पन्न होती है।
लखनऊ के मुसलमानों ने भेदभाव को खत्म करने का किया प्रयास
मौलाना ने कहा कि लखनऊ के मुसलमानों ने हमेशा अपने समाज के साथ मिलकर धर्म, जाति और सांप्रदायिक भेदभाव को खत्म करने का प्रयास किया है। और जब बांग्लादेश में हिंदू भाईयों पर जुल्म होते हैं, तो लखनऊ के मुसलमानों का यह तड़प इस बात का प्रतीक है कि वे केवल मज़हबी मामलों में ही नहीं, बल्कि मानवता के हर पहलू में भागीदार हैं।
लखनऊ में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की गहरी जड़ें
उन्होने कहा कि लखनऊ को गंगा-जमनी तहज़ीब का गढ़ कहा जाता है, एक ऐसी भूमि है जहां हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की गहरी जड़ें हैं। यहाँ का हर मोड़, हर गली एकता, प्रेम और सामूहिकता की कहानियाँ सुनाती हैं।
लखनऊ के मुसलमानों का धर्म इंसानियत और
मानवता की सेवा में भी रचा-बसा
मौलाना ने बताया कि लखनऊ के मुसलमानों का धर्म केवल मज़हबी रस्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इंसानियत और मानवता की सेवा में भी रचा-बसा है। यहाँ के मुसलमानों ने अपने धार्मिक विश्वासों को एक साथ जोडऩे का काम किया है, चाहे वह इमामबाड़ा हो, काज़मैन हो या फिर अन्य सांस्कृतिक स्थल। यह सब धार्मिक और सांस्कृतिक सहयोग की मिसालें हैं, जहाँ हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों ने मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द और प्रेम का संदेश दिया।