नीली-हरी रोशनी से गहरे समुद्र में जाने कैसे होगी सुरक्षित बातचीत
DRDO तैयार कर रहा अंडर वाटर ऑप्टिकल वायरलेस कम्युनिकेशन
नई दिल्ली
गहरे समुद्र में हमारी सेना क्या बात कर रही है, इसका पता लगाना दुश्मनाें के लिए नामुकिन होगा। DRDO एक ऐसी तकनीक तैयार कर रहा हे जिसमें नीली और हरी रोशनी के सहारे लेजर लाइट से संदेश दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाया जाएगा। यह संदेश रोशनी के माध्यम से सीधा पहुंच जाएगी जिस कारण इसे डी कोड करना नामुकिन हो जाएगा। लेजर तकनीक आधारित इस सिस्टम को प्रगति मैदान में लगे विज्ञान एक्सपो में प्रदर्शित किया गया है। डीआरडीओ के वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि यह तकनीक मौजूदा तकनीक से ज्यादा सुरिक्षत है।
पनडुब्बियों में ध्वनिक तरंगों का इस्तेमाल होता है। जो चारों दिशाओं में जाती है। यह कमजोर होने के साथ सुरक्षित भी नहीं है। इसे देखते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के विंग ने अंडर वाटर ऑप्टिकल वायरलेस कम्युनिकेशन को तैयार किया है, जिसकी उपयोगिता पर शोध चल रहा है। इस सिस्टम की क्षमता करीब 150 मीटर होगी।
इसकी मदद से पहले ध्वनि ऊर्जा को नीली और हरी रंग की लेजर लाइट में बदला जाता है। इसके बाद इसे पानी से गुजारा जाता है। दूसरे छोर पर रखा यंत्र लेजर लाइट को ध्वनि ऊर्जा में बदल देता है। यह भेजने वाले से लेकर प्राप्त वाले तक सीधी रेखा में जाती है।