लखनऊ नगर निगम का बढ़ा दायरा, नहीं बढ़े कर्मचारी, काम के दबाव से हो रहे बीमार

नगर निगम में काम के दबाव की वजह से कर्मचारी मानसिक एवं शारीरिक रूप से बीमार हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार एवं शासन की ग़लत नीतियों की वजह से कर्मचारियों को कार्य क्षमता से अधिक काम करना पड़ रहा है।

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Indinewsline, Lucknow:
नगर निगम में काम के दबाव की वजह से कर्मचारी मानसिक एवं शारीरिक रूप से बीमार हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार एवं शासन की ग़लत नीतियों की वजह से कर्मचारियों को कार्य क्षमता से अधिक काम करना पड़ रहा है।

सीमित कर्मचारियों पर लगातार वसूली लक्ष्य को बढ़ा रही सरकार
आबादी के साथ-साथ काम का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। इसके अनुरूप सरकार एवं शासन लगातार वसूली लक्ष्य को बढ़ा रही है। साथ ही साथ यह भी निर्देश दिया जा रहा है कि अतिरिक्त आने वाले व्यय-भार को निकाय अपने आय के श्रोत से पूरा करें।

“मरता क्या न करता..जबरा मारे और रोने भी न दे की नीति पर काम कर रही है सरकार
यह आरोप लगाते हुए उप्र नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा ने कहा कि मरता क्या न करता। आरोप लगाया कि सरकार एवं शासन जबरा मारे और रोने भी न दे की नीति पर काम कर रही है। जो न्याय संगत नहीं है।

सभी संवर्गों में रिक्त पदों पर नियमित नियुक्तियां नहीं होने से बढ़ी परेशानी
उन्होंने कहा कि सभी संवर्गों में रिक्त पदों पर नियमित नियुक्तियां नहीं होने से कर्मचारियों को रात दिन क्षमता से अधिक अवकाश के दिनों में भी काम करना पड़ रहा है। ऐसे में मजबृरन, नियमानुसार दिये जाने वाले प्रतिकर अवकाश को भी न लेकर अपने विभागीय दायित्वों का निर्वाहन करना पड़ रहा है।

सभी निकायों के संघों/महासंघों को संस्था एवं कर्मचारी हित में आवश्यक कदम उठाये जाने की आवश्यकता पर जोर
जिस वजह से सभी संवर्ग के कर्मचारी मानसिक एवं शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो रहे हैं। उनकी जीवन शैली पर भी विपरीत प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। आनन्द वर्मा ने इसके निदान के लिए सभी निकायों के संघों/महासंघों को संस्था एवं कर्मचारी हित में आवश्यक कदम उठाये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। ताकि त्याग, संघर्ष एवं एक जुटता के बल पर काम के घंटे की बनाई गई नीति का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

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