लखनऊ, संवाददाता।
इस वर्ष पुरी में सात जुलाई को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी। आषाढ़ माह की द्वितीया तिथि निर्धारित की गई है।
पुरी समेत अन्य शहरों में भी जगन्नाथ रथयात्रा बहुत उत्सव एवं धूमधाम से मनायी जाती है।
लखनऊ में अलीगंज के ज्योतिषाचार्य एस.एस.नागपाल ने बताया कि इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारम्भ 7 जुलाई प्रात: 04: 26 से होगा। द्वितीया तिथि 8 जुलाई प्रात: 04: 59 पर समाप्त होगी।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक उड़ीसा में पुरी जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। वर्तमान का मंदिर 800 वर्ष से अधिक प्राचीन है। उन्होंने बताया कि पुरी की रथ यात्रा विश्व प्रसिद्व है। इसके लिए बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग- अलग रथ बनाए जाते हैं। रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है।
ज्योतिषाचार्य एस.एस.नागपाल बताते हैं कि
मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा रथ पर बैठकर अपनी मौसी के घर जाते हैं। वे अपनी मौसी के घर सात दिन तक रुकते हैं। इसके बाद वह वापस आते हैं। यह परंपरा हर साल निभाई जाती है।
रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंदीचा मंदिर तक पहुंचती है। इसकी परंपरा राजा इंद्रद्युम्न के शासन काल से ही चली आ रही है। द्वितीया से नवमी तक भगवान गुंदीचा मंदिर में विश्राम करते हैं। गुंडिचा स्थान पर ही विश्वकर्मा जी ने भगवान जगन्नाथ बलराम सुभद्रा जी के विग्रह का निर्माण किया था। इसी कारण गुंदीचा स्थान को भगवान का जन्म स्थान माना जाता है और भगवान अपनी इच्छा से वर्ष में एक बार अपने जन्म स्थान की यात्रा करते हैं।
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि आषाढ़ शुक्ल दशमी के दिन भगवान गुंडिचा मंदिर से रथ द्वारा अपने वर्तमान मंदिर के लिए यात्रा करते हैं। स्कंद पुराण अनुसार जगन्नाथ यात्रा में भाग लेने, भगवान जगन्नाथ का जप- कीर्तन से पुण्य प्राप्त होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है, मनोकामनाएं पूरी होती है, संतान सम्बन्धी कष्ट दूर होते है।