KGMU में AMR जागरूकता सप्ताह पर वॉकथॉन, “एंटीबायोटिक के रजिस्टेंस से स्वास्थ्य खतरे व तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को किया उजागर”

वॉकथॉन को प्रतिकुलपति डॉ. अपजीत कौर व डीन डॉ. अमिता जैन ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

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Indinewsline, Lucknow:
KGMU के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की तरफ से मंगलवार को एंटीबायोटिक रजिस्टेंस के खिलाफ जागरूकता वॉकथॉन का आयोजन किया गया। इसमें 400 से अधिक MBBS, BDS, पैरामेडिकल, डेंटल और नर्सिंग छात्रों ने हिस्सा लिया। वॉकथॉन को प्रतिकुलपति डॉ. अपजीत कौर व डीन डॉ. अमिता जैन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वॉकथॉन का मकसद एंटीबायोटिक्स के रजिस्टेंस से स्वास्थ्य खतरे और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर करना था।

एंटीबायोटिक रजिस्टेंस से निपटने के लिए सभी क्षेत्रों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता


डॉ. अपजीत कौर ने कहा कि एंटीबायोटिक रजिस्टेंस से निपटने के लिए सभी क्षेत्रों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। KGMU अपने छात्रों को जागरूकता और कार्रवाई के लिए प्रेरित करने के लिए प्रतिबद्ध है। जो भविष्य के स्वास्थ्य नेतृत्वकर्ता हैं।

एंटीबायोटिक रजिस्टेंस एक महामारी


डॉ. अमिता जैन ने कहा कि यह एक महामारी है। जो स्वास्थ्य सेवा में दशकों की प्रगति को खतरे में डाल सकती है। इस वॉकथॉन के माध्यम से हम एंटीबायोटिक्स की प्रभावशीलता को आने वाली पीढिय़ों के लिए बनाए रखने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी को प्रेरित करने की आशा करते हैं।

एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग दुनिया भर में दे रहा प्रतिरोध को बढ़ावा


आयोजन अध्यक्षा डॉ. विमला वेंकटेश ने कहा कि एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग दुनिया भर में प्रतिरोध को बढ़ावा दे रहा है। यह महत्वपूर्ण है कि छात्र, जो भविष्य के चिकित्सक और प्रिस्क्राइबर हैं, तर्कसंगत एंटीबायोटिक उपयोग के माध्यम से एएमआर से लड़ने में अपनी भूमिका समझें।

यह वॉकथॉन केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि आंदोलन है


आयोजन सचिव डॉ. शीतल वर्मा ने कहा कि एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग दुनिया भर में प्रतिरोध को बढ़ावा दे रहा है। यह महत्वपूर्ण है कि छात्र जो भविष्य के डॉक्टर और प्रिस्क्राइबर हैं, तर्कसंगत एंटीबायोटिक उपयोग करें। उन्होंने कहा कि यह वॉकथॉन केवल एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि जिम्मेदार एंटीमाइक्रोबियल प्रथाओं के लिए शिक्षित और वकालत करने के लिए एक आंदोलन है। हम एक साथ मिलकर एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में कार्रवाई कर सकते हैं।

यह वॉकथॉन प्रशासनिक भवन से शुरू होकर परिसर के प्रमुख क्षेत्रों से गुजरा, जिसने ध्यान आकर्षित किया और एएमआर के महत्व के बारे में जागरूकता भी फैलाई। एएमआर जागरूकता सप्ताह में विभिन्न कार्यक्रम होते रहेंगे। जिनमें प्रश्नोत्तरी, पोस्टर और वीडियो प्रतियोगिताएं, नाटक और इंटरएक्टिव सत्र शामिल हैं। जो छात्रों और संकाय को इस महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती में सक्रिय रूप से शामिल करेंगे।

कार्यक्रम में ये भी रहें मौजूद


कार्यक्रम में डॉ. आरके दीक्षित, डॉ. आरके गर्ग, डॉ. हैदर अब्बास, डॉ. आरके कल्याण, डॉ. प्रशांत गुप्ता, डॉ. संदीप भट्टाचार्य, डॉ. अंजू अग्रवाल, डॉ. अमिता पांडेय, डॉ. दर्शन बजाज, डॉ. मोना, डॉ. राजीव मिश्रा, डॉ. सुरुचि, डॉ. श्रुति और अन्य शामिल रहे।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की तरफ से जारी यह विशेष जानकारी
भारत और एएमआर: कुछ तथ्य
1. वैश्विक हॉटस्पॉट:
भारत एएमआर का वैश्विक हॉटस्पॉट माना जाता है, जहाँ एंटीबायोटिक खपत और प्रतिरोधी संक्रमण की उच्च दरें हैं।
2. एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग:
भारत दुनिया में एंटीबायोटिक्स का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। 60% से अधिक एंटीबायोटिक्स बिना डॉक्टर की पर्ची के बेचे जाते हैं।
3. स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमण:
क्लेब्सिएला न्यूमोनिया और एसिनेटोबैक्टर बाउमनी जैसे रोगजनक भारत में उच्च प्रतिरोध दर दिखाते हैं।
4. नीओनेटल संक्रमण:
ई. कोलाई और क्लेब्सिएला के कारण नवजात मृत्यु दर में एएमआर की प्रमुख भूमिका है।
5. पर्यावरणीय कारक:
अपशिष्ट जल प्रबंधन की कमी के कारण एंटीबायोटिक अवशेष जल स्रोतों में प्रवेश
6. पशुपालन और कृषि:
भारत में पशुपालन और पोल्ट्री में एंटीबायोटिक्स का उपयोग वृद्धि उत्तेजक (growth promoters) के रूप में व्यापक रूप से किया जाता है, जो एएमआर के जोखिम को और बढ़ाता है।
7. आर्थिक बोझ:
एएमआर भारत को वार्षिक अनुमानित 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान पहुंचाता है, जो स्वास्थ्य देखभाल खर्चों और उत्पादकता हानि के कारण होता है।
8. नीति प्रतिक्रिया:
भारत ने 2017 में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR) लॉन्च की, जिसका उद्देश्य निगरानी, संक्रमण नियंत्रण, और एंटीबायोटिक प्रबंधन में सुधार करना है।
9. समुदाय जागरूकता:
एएमआर के बारे में सामान्य जनसंख्या में जागरूकता का स्तर कम है, जो इस तथ्य को उजागर करता है कि इस मुद्दे पर सामूहिक शिक्षा अभियानों की आवश्यकता है, जैसे कि एएमआर जागरूकता सप्ताह।
10. वन हेल्थ अप्रोच:
भारत ने एएमआर से निपटने के लिए वन हेल्थ अप्रोच को अपनाया है, जो मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य क्षेत्रों को एकीकृत करके इस समस्या का समग्र समाधान प्रदान करता है।

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