इंडिन्यूज लाइन, लखनऊ।
बाल एवं नाखून को छोड़ कर शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती है। दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार, कमजोरी, थकान, भूख कम लगना और वजन घटना आदि टीबी के लक्षण हो सकते हैं। यदि रोगी को खांसी में खून आ रहा है तो टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे लोगों को किसी भी सरकारी अस्पताल में जाकर टीबी की जांच करानी चाहिए। जांचों में बलगम में टीबी के जीवाणु का परीक्षण और छाती का एक्स-रे प्रमुख होता है।
यह जानकारी केजीएमयू में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने दी। वह मंगलवार को के. के. इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंस में विश्व टीबी दिवस पर आयोजित एक स्वास्थ्य चर्चा को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. सूर्यकांत ने नर्सिंग एवं पैरामेडिकल के छात्र- छात्राओं को किया संबोधित
डॉ. सूर्यकांत ने नर्सिंग एवं पैरामेडिकल के छात्र- छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि टीबी की जांच व इलाज नि:शुल्क है। हर मरीज को एक हजार रूपए प्रति महिना पोषण भत्ता के रूप में दिया जाता है।
कुपोषण की शिकार व कम उम्र में शादी होने पर महिलाओं को टीबी होने का खतरा ज्यादा
डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि वह लड़कियां जो कुपोषण की शिकार हैं। जिनकी शादी कम उम्र में हो गई है। जिनके बच्चे ज्यादा हैं उनको टीबी होने का खतरा ज्यादा होता है। जो महिलाएं अभी भी लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाती हैं या जिनके घर में कोई व्यक्ति बीड़ी, सिगरेट पीता है उन महिलाओं को परोक्ष धूम्रपान से टीबी होने का खतरा ज्यादा होता है।
मौके पर यह सभी रहें मौजूद
इस दौरान संस्थान की निदेशक डॉ. अनीता सिंह, प्रधानाचार्य हितेश, डॉ. अजय कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।