Delhi University के भाजपा का प्रचार मशीन बनने की केवाईएस करता है कड़ी निंदा

केवाईएस डीयू के ऐसे खुले तौर पर राजनीतिक कदमों के खिलाफ तेज करेगा आंदोलन!!

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नई दिल्ली

क्रांतिकारी युवा संगठन (केवायएस) कड़े शब्दों में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में राजनीतिक प्रचार करने की कड़ी भर्त्सना करता है। ज्ञात हो कि आम चुनाव के दौरान डीयू में ‘विकसित भारत 2047’ के नाम पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जो भाजपा के चुनाव जीतने के लिए किए जा रहे प्रचार का हिस्सा हैं। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विकसित भारत पर व्हाट्सएप मैसेज आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हैं, परंतु इससे सत्ता के सामने झुके हुए डीयू अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता।

ज्ञात हो कि कि कल डीयू की ओर से ‘विकसित भारत के निर्माण में मुक्त शिक्षा का योगदान’ विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। भाजपा के पूर्व सदस्य और भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करके कार्यक्रम को गैर-राजनीतिक रूप देने की कोशिश की गयी। इसका आयोजन डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के 62 साल मनाने के लिए किया गया था। यह कार्यक्रम न केवल भाजपा के प्रचार को बढ़ावा देने के राजनीतिक इरादे को सामने लाता है, बल्कि शिक्षा के बड़े पैमाने पर अनौपचारीकरण को भी बढ़ावा देता है। गौरतलब है कि डीयू एसओएल देश के सबसे कुख्यात संस्थानों में से एक है और यहां तक कि इसके अपने शिक्षकों ने भी इसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इसकी खासियत इसका घटिया शिक्षा मॉडल, खराब स्टडी मटेरियल और आवश्यक शिक्षण का अभाव है। संस्थान में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के पास डीयू के रेगुलर छात्रों को मिलने वाली बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मुहैया की जाती हैं। कहने की जरूरत नहीं कि यह डीयू के लिए सिर्फ पैसा कमाने की मशीन है क्योंकि यह सेल्फ-फाइनान्स यानी छात्रों की फीस के आधार पर चलता है। स्पष्ट रूप से, ऐसे खराब संस्थान की स्थापना का जश्न मनाना डीयू और भाजपा के एजेंडे को उजागर करता है जो कि छात्रों को ऐसे घटिया मुक्त-शिक्षण संस्थानों में धकेलना चाहते हैं।

इसके अलावा कल डीयू की ओर से ‘विकसित भारत रन’ का आयोजन किया गया है। रिपोर्टों के अनुसार कार्यक्रम की तैयारी के लिए आयोजित बैठक में डीयू प्रशासन के साथ भाजपा का एक सदस्य भी मौजूद था, जो नई दिल्ली नगर पालिका परिषद का भी सदस्य है। इस प्रकार, कार्यक्रम के राजनीतिक होने को लेकर कोई दिखावा भी नहीं किया जा रहा है क्योंकि एक भाजपा सदस्य जिसका इस कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि यह उसके निर्वाचन क्षेत्र में आयोजित ही नहीं किया जा रहा है, उसे इसका हिस्सा बनने दिया गया। गौरतलब है कि मार्च 2024 में भी एक कार्यक्रम ‘विकसित भारत-नारी शक्ति कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया गया था जिसमें स्मृति ईरानी मुख्य अतिथि थीं। यह स्पष्ट है कि यह कार्यक्रम किसी स्पष्ट शैक्षणिक उद्देश्य के लिए नहीं हैं। साथ ही, इससे डीयू अधिकारियों का भाजपा के प्रति राजनीतिक झुकाव साथ बेनकाब होता है जो अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने सब कुछ करने को तैयार हैं। यह खासकर इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वे नियुक्त ही अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि के आधार पर नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ सत्ता से निकटता के कारण हुए हैं।

केवाईएस डीयू के इस कदम की निंदा करता है जो यह उजागर करता है कि कैसे विश्वविद्यालय के धर्मनिरपेक्ष और गैर-पक्षपातपूर्ण चरित्र को बनाए रखने के बजाय एक विशेष राजनीतिक दल के उद्देश्यों को साकार किया जा रहा है। डीयू के ऐसे कदमों के खिलाफ केवाईएस आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करेगा।

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