लखनऊ: देश में 10 करोड़ सांस की बीमारियों के मरीज, इलाज के बाद भी फूलती हैं सांसे

प्रमुख श्वसन संबंधी बीमारियों में अस्थमा, सीओपीडी, आईएलडी, ब्रोंकिइक्टेसिस आदि शामिल

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Indinewsline, Lucknow:
देश में करीब 10 करोड़ लोग सांस की बीमारियों से ग्रस्त हैं। इन रोगियों के उपचार के साथ- साथ पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रमुख श्वसन संबंधी बीमारियों में अस्थमा, सीओपीडी, आईएलडी, ब्रोंकिइक्टेसिस आदि शामिल हैं। जिनमें पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की विशेष भूमिका होती है। यह जानकारी केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने दी। वह सोमवार को संस्थान के कलाम सेंटर में आयोजित पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के द्वितीय नेशनल अपडेट संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

फेफड़े की टीबी के रोगी जिनके इलाज के बाद भी फूलती रहती हैं सांसे
डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि फेफड़े की टीबी के रोगी जिनके इलाज के बाद भी सांस फूलती रहती है। ऐसे रोगियों के इलाज में भी पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रमुख भूमिका निभाता है। श्वसन के गंभीर एवं पुराने रोगियों के लिए पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन एक वरदान है। उन्होंने कहा कि जब कोई रोगी हमारे पास आता है, तो हमारा पहला उद्देश्य उसका उपचार करना होता है, दूसरा उसके लक्षणों पर नियंत्रण स्थापित करना, तीसरा उसे राहत प्रदान करना और चौथा उसकी बीमारी की तीव्रता को कम करना। यदि इसे रोकने में असमर्थता होती है, तो वहीं से पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की भूमिका शुरू होती है।

इन विशेषज्ञों ने भी विचार साझा किये, दी महत्वपूर्ण जानकारी
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंकित कुमार ने अस्थमा से पीड़ित रोगियों व उनकी समस्याओं के निदानों एवं एम्स गोरखपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित रंजन ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में आ रही समस्याओं व उसके वैकल्पिक निदानों पर अपने विचार साझा किये। साथ ही, डॉ. बी.पी. सिंह, डॉ. निशा मणि पांडेय, डॉ. ए. के. सिंह व डॉ. आनन्द गुप्ता ने भी विचार साझा किये। कार्डियो रेस्पिरेटरी फि़जिय़ोथेरेपिस्ट डॉ. शिवम श्रीवास्तव ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में की जाने वाली जांचों एवं उनकी उपयोगिता के साथ-साथ सम्पूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।

100 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा, दिया विशेष प्रशिक्षण
कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के डॉ. ऋषि कुमार सक्सेना, डॉ. मोहम्मद आमिर के साथ रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. आर.ए.स. कुशवाहा, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. दर्शन बजाज व अन्य कई अस्पतालों और संस्थानों के पल्मोनोलॉजिस्ट, फि़जिय़ोथेरेपिस्ट, डायटीशियन, साइकोलोजिस्ट समेत लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को सांस के रोगियों को पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के लिए चयनित करने, उपयुक्त डाइट की जानकारी, उनकी काउंसलिंग, विभिन्न व्यायाम और उनकी मॉनिटरिंग का विशेष प्रशिक्षण दिया गया।

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