लखनऊ में 123 वें जन्मदिन पर याद किये गए फार्मेसी शिक्षा के जनक प्रो. एम. एल. श्रॉफ, यूपी फॉर्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सुनील बोलें- उनके प्रयासों को याद करने का दिन
प्रो. श्रॉफ का भारत में फार्मेसी शिक्षा को शुरू कर उसे बढ़ाने में महत्वपूर्ण व उल्लेखनीय योगदान- सुनील यादव
Indinewsline, Lucknow:
लखनऊ के हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में गुरूवार को देश में फार्मेसी शिक्षा के जनक प्रोफेसर एम. एल. श्रॉफ के 123वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित गोष्ठी में उन्हे याद किया गया। इसके साथ ही पूरे प्रदेश के शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, फार्मेसी संस्थानों, उद्योगों आदि में भी उनके योगदानों पर चर्चा हुई।
वहीं फार्मासिस्ट फेडरेशन की तरफ से देश में फार्मास्यूटिकल केयर के अनुसार फार्मेसिस्टों का मानक बनाने के लिए सरकार को आवश्यक सुझाव भेजने का निर्णय लिया गया। केक काटने और प्रोफेसर श्रॉफ के चित्र पर माल्यार्पण के बाद गोष्ठी की शुरूआत हुई।
प्रो. श्रॉफ का भारत में फार्मेसी शिक्षा को शुरू कर उसे बढ़ाने में महत्वपूर्ण व उल्लेखनीय योगदान- सुनील यादव
स्टेट फार्मेसी काउंसिल उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन और फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा प्रो. श्रॉफ के जन्मदिन छह मार्च को नेशनल फार्मेसी एजुकेशन डे घोषित किया गया है। उन्होने भारत में फार्मेसी शिक्षा को शुरू कर उसे बढ़ाने में महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय योगदान दिया। इसलिए आज उनके प्रयासों को याद करने का दिन है।
भारत में फार्मेसी शिक्षा के विकास पर दी विस्तृत जानकारी
फेडरेशन के संरक्षक और फीपो के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के.के. सचान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे.पी. नायक, महामंत्री अशोक कुमार ने भारत में फार्मेसी शिक्षा के विकास पर विस्तृत जानकारी साझा किए। सुनील यादव ने कहा कि भारत में फार्मेसी शिक्षा के साथ ही इंडियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन के गठन आदि में प्रोफेसर श्रॉफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने मानव समाज पर दवाओं के कुप्रभाव को रोकने के लिए फ़ार्माकोविजिलेंस बनाने के लिए अनुरोध किया था।
प्रो. श्रॉफ ने ड्रग्स इंक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों को बहुत गंभीरता से लिया
रिटायर विंग के अध्यक्ष जय सिंह सचान ने कहा कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्रो. श्रॉफ ने फार्मेसी को अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मिशन के रूप में अपनाया। 1931 में ड्रग्स इंक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई। प्रो. श्रॉफ ने ड्रग्स इंक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों को बहुत गंभीरता से लिया और इस विशाल देश में फार्मास्युटिकल उद्योग की उज्ज्वल संभावनाओं की कल्पना की।
मालवीय जी को भारत में औषधि विज्ञान की महान संभावनाओं के बारे में समझाया
यूथ विंग के अध्यक्ष आदेश ने बताया कि 1932 में जब भारत में विज्ञान और संगठित पेशे के रूप में फार्मेसी लगभग न के बराबर थी, तब वे मालवीय जी को भारत में औषधि विज्ञान की महान संभावनाओं के बारे में समझा सके। महान दूरदर्शी मालवीय जी को इसके महत्व का एहसास होने में देर नहीं लगी और उनके संरक्षण में प्रो. श्रॉफ ने भारत में फार्मास्युटिकल शिक्षा के आयोजन का अपना कार्य शुरू किया।
यहां तक कि उन्होंने इस परियोजना के लिए धन इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया और इस तरह 1932 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पहली बार फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री शिक्षा स्थापित करने में सफल रहे, जो बाद में फार्मास्यूटिक्स के पूर्ण विकसित विभाग के रूप में विकसित हुआ। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की शिक्षा प्रणाली के समतुल्य आधुनिक फार्मास्यूटिकल शिक्षा की शुरुआत थी। प्रो. श्रॉफ ने इस प्रकार इस देश में औषधि शिक्षा की आधारशिला रखी।
प्रो. श्रॉफ ने की संयुक्त प्रांत फार्मास्युटिकल एसोसिएशन की शुरुआत
आदेश ने आगे कहा कि दिसंबर 1935 में उन्होंने संयुक्त प्रांत फार्मास्युटिकल एसोसिएशन की शुरुआत की, जिसके वे संस्थापक सचिव थे। इसके तुरंत बाद प्रो. श्रॉफ का आंदोलन उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) की सीमाओं को पार कर गया।
दिसंबर 1939 में यूपी फार्मास्युटिकल एसोसिएशन का विस्तार किया गया और अन्य राज्यों में शाखाओं के साथ इंडियन फार्मास्युटिकल एसोसिएशन बन गया। उसी वर्ष के दौरान उन्होंने इंडियन जर्नल ऑफ फार्मेसी का प्रकाशन शुरू किया और 1943 में बनारस छोडऩे तक लगभग चार वर्षों तक इसके प्रधान संपादक रहे। 1940 में ड्रग्स एक्ट पारित कराने में प्रो. श्रॉफ की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
अभी भी भारत में फार्मास्यूटिकल केयर के अनुसार फार्मेसिस्टो का नहीं बना मानक
आज भारत में फार्मेसी में डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीएचडी के साथ ही फार्म डी की शिक्षा दी जा रही है हालांकि, अभी भी भारत में फार्मास्यूटिकल केयर के अनुसार फार्मेसिस्टो का मानक नहीं बन सका है, इसलिए रोजगार के क्षेत्र में अभी बहुत कार्य किया जाना बाकी है। फेडरेशन द्वारा सरकार को इस संबंध में आवश्यक सुझाव भेजा जायेगा।
गोष्ठी को इन पदाधिकारियों आदि ने भी किया सम्बोधित
कार्यक्रम को फेडरेशन के जिला सचिव जीसी दुबे, उपाध्यक्ष शोएब, यूथ विंग के प्रदेश सचिव अवधेश, अजीत, आदर्श, हिमांशु पटेल, संदीप वर्मा, राजन यादव, सविता, श्रद्धा, राजन, रिमझिम, स्नेहा, आकांक्षा, आलोक, रविन्द्र यादव आदि ने भी संबोधित किया।
शिव जी कुशवाहा की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी गोष्ठी
यह गोष्ठी प्रभारी अधिकारी फार्मेसी शिव जी कुशवाहा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसका संचालन चीफ फार्मेसिस्ट आनंद मिश्रा और आयोजन फार्मेसिस्ट रजनीश पांडेय ने किया। फार्मासिस्ट फेडरेशन से जुड़े सभी संघों और फेडरेशन की यूथ विंग तथा वैज्ञानिक समिति, सेवानिवृत्त विंग आदि द्वारा संगोष्ठी में सहभागिता की गई। फेडरेशन द्वारा प्रो. श्रॉफ के बारे में लेखन और पोस्टर ईमेल पर आमंत्रित किए गए थे जिस पर सैकड़ों लेख पोस्टर आए।