लखनऊ: आखिरकार रूपए लेने के बाद ही डॉक्टर ने किया आंख का आपरेशन, पढ़ें क्या है मामला?
यूपी के सबसे बड़े बलरामपुर अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के नाम पर डॉक्टर ने की जबरन वसूली
लखनऊ रिपोर्टर।
यूपी की राजधानी लखनऊ के एक अस्पताल का मामला सामने आया है। प्रान्त के बलरामपुर अस्पताल में संविदा पर पुनर्नियुक्ति में तैनात डॉक्टर सरकार की नि:शुल्क मोतियाबिंद के ऑपरेशन योजना के नाम पर मरीजों से हजारों रुपए की वसूली कर रहे हैं। इस अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के नाम पर 43 सौ रुपए जबरन वसूली करने का मामला सामने आया है।
उन्नाव की एक मरीज के पीड़ित बेटे ने बलरामपुर अस्पताल में पुनर्नियुक्ति में NHM से संविदा पर तैनात नेत्र रोग विशेषज्ञ के खिलाफ शिकायत की है। तीमारदार डॉक्टर से रुपए न होने की बात कहते रहे, लेकिन उन्होंने तब तक ऑपरेशन ही नहीं किया, जब तक उनको रुपए नहीं मिल गए। इस मामले में ऑपरेशन कराने के बाद पीडि़त ने डिप्टी सीएम व एनएचएम की मिशन निदेशक को स्टांप पेपर पर लिखित शिकायत की है।
उन्नाव हसनगंज निवासी सुशील सिंह ने बताया कि आठ अप्रैल को मां रामरानी का बलरामपुर अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन होना था। उन लोगों ने बलरामपुर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शाक्य को दिखाया था। उनके कहने पर भी मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए मां को भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉ. शाक्य की जगह पर दूसरे डॉ. अजय वैद्या ऑपरेशन थियेटर में मिले।
उन्होंने कहा कि वह ही डॉ. शाक्य के सभी ऑपरेशन करते हैं। उसके लिए आपको बाहर से लेंस डालने के लिए 43 सौ रुपए देने पड़ेंगे। सरकारी लेंस डालेंगे तो आंख की रोशनी सही से नहीं आएगी। बाद में रोशनी न आने की शिकायत मत करना। सुशील के मुताबिक उस समय उसके पास महज 300 ही कैश थे। उसी 300 रुपए किराए से वह वापस मां को लेकर घर जाएगा। आरोप है कि डॉ. वैद्या ने वह 300 रुपए ले लिए।
सुशील से 300 रुपए वसूलने के बाद 4000 रुपए न देने पर डॉक्टर ने ऑपरेशन से इनकार कर दिया। उस समय मरीज नेत्र रोग की ओटी में थी। कई बार गुहार के बाद भी डॉक्टर का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार सुशील ने किसी परिचित से 4000 रुपए ऑनलाइन मंगवाए। उसके बाद डॉ. अजय वैद्या ने उससे 4000 रुपए ऑनलाइन ही वसूल लिया। उस समय तो सुशील चुप रहा, लेकिन ऑपरेशन होने के बाद मां की छुट्टी करा ली। फिर उसे डिप्टी सीएम व एनएचएम की मिशन निदेशक से 10 रुपए के स्टांप पेपर पर डॉ. अजय वैद्या के खिलाफ लिखित शिकायत की है। सबूत के तौर पर 4000 रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर करने का स्क्रीन शॉट भी संलग्न किया है। मांग की है कि ऐसे भ्रष्ट डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।
डॉ. अजय वैद्या का कहना है कि मरीज ओटी टेबल पर लेटी थीं। वह जिद करने लगीं कि बाहर का अच्छा लेंस डाल दीजिए। इसलिए मैने लेंस डाला। लेंस मेरे पास था तो हमने डाल दिया। उसी के लिए 4300 रुपए मैने लिए। मैने अपनी ओर से कोई डिमांड नहीं की है। मरीज या सुशील मेरे सामने आकर शिकायत करें तो मै मान लूंगा कि मैने ऐसा दबाव बनाया।
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण ने बताया कि अभी मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। शिकायत आने पर कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई जाएगी। दोषी मिलने पर कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।