लखनऊ के मैकवेल हॉस्पिटल ने 15 दिनों में 8 लाख वसूले, फिर किया जबरन डिस्चार्ज, महिला मरीज की मौत, इलाज के नाम पर लापरवाही उजागर
विभूतिखंड थाने में हॉस्पिटल के खिलाफ तहरीर, सीएमओ की ओर से जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पुलिस करेगी आगे की कार्रवाई
इंडिन्यूजलाइन, लखनऊ
राजधानी के निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर मरीजों से जमकर वसूली हो रही है। कार्रवाई तो होती ही नहीं है। यही वजह है कि इनके हौसले बुलंद रहते हैं। मामला लखनऊ के विभूतिखंड के मैकवेल हॉस्पिटल का है। यहां के डॉक्टरों पर अमेठी की महिला के आंत के ऑपरेशन में लापरवाही का आरोप लगा है। परिजनों के मुताबिक ऑपरेशन के बाद उसकी हालत बिगड़ती चली गई। साथ ही इलाज के नाम पर आठ लाख रुपए भी वसूल लिए गए। करीब 15 दिन तक भर्ती रखने के बाद जबरन मरीज को अस्पताल से निकाल दिया। घर ले जाते समय रास्ते में मरीज की मौत हो गई। परिजनों ने विभूतिखंड थाने पहुंचकर मैकवेल हॉस्पिटल के खिलाफ तहरीर दी है।
सुलतानपुर के एक निजी अस्पताल ने जांच में आंत फटने की जानकारी देते हुए विभूतिखंड के मैकवेल हॉस्पिटल में किया था रेफर
अमेठी के ग्राम मोहन सरैया निवासी राम मिलन के मुताबिक बहू रीता यादव (27) पेट में दर्द होने पर सुलतानपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं। जांच में आंत फटने की जानकारी देते हुए वहां से डॉक्टरों ने मरीज को विभूतिखंड के मैकवेल हॉस्पिटल में रेफर कर दिया। मरीज को 26 मार्च को भर्ती कराया। 27 मार्च को हॉस्पिटल में ऑपरेशन हुआ। शुरुआती दिनों में मरीज की स्थिति सामान्य रही, लेकिन बाद में इलाज के नाम पर अस्पताल ने लगातार लाखों रुपए वसूले।
अलग-अलग समस्या बताकर महज 15 दिन में करीब आठ लाख वसूले
ससुर राम मिलन यादव का आरोप है कि ऑपरेशन के बाद रीता सुस्त रहने लगी। डॉक्टरों ने हर बार आश्वासन दिया कि मरीज की हालत ठीक है। उसे नींद की दवा दी जा रही है। फिर अलग-अलग समस्या बताकर महज 15 दिन में करीब आठ लाख रुपए वसूले गए। इसके लिए उन्हें अपनी जमीन तक बेचनी पड़ी। 10 अप्रैल को अस्पताल प्रशासन ने दो लाख रुपए की और मांग की। किसी तरह रुपए की व्यवस्था कर रीता को डिस्चार्ज कराया गया। लेकिन आरोप है कि डिस्चार्ज से पहले रीता को कोई गलत दवा दी गई, जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई।
अस्पताल प्रशासन ने जबरन कई कागजों पर हस्ताक्षर करवाए और गंभीर अवस्था में मरीज को अस्पताल से बाहर कर दिया
राम मिलन का आरोप है कि गुरुवार को मरीज के साथ सिर्फ वह ही मौजूद थे। बेटा और अन्य परिवारीजन रुपयों का इंतजाम करने घर गए थे। आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उनसे जबरन कई कागजों पर हस्ताक्षर करवाए और गंभीर अवस्था में रीता को अस्पताल से बाहर कर दिया। रास्ते में ही रीता की मौत हो गई। परिवारीजनों का कहना है कि यह एक प्राकृतिक मृत्यु नहीं, बल्कि लापरवाही और धन उगाही का सीधा नतीजा है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले में विभूतिखंड के इस मैकवेल हॉस्पिटल के जिम्मेदार डॉक्टरों और प्रबंधकों पर केस दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए।
परिवारीजनों ने निजी हॉस्पिटल के खिलाफ दी तहरीर
विभूतिखंड इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह ने बताया कि परिवारीजनों ने निजी हॉस्पिटल के खिलाफ तहरीर दी है। इस मामले को देखते हुए सीएमओ के संज्ञान में लाया गया है। सीएमओ की ओर से जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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