कुरुक्षेत्र के ब्रह्रम सरोवर तट दिखेगी मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम की लीला

अंतरराष्ट्रीय रामलीला महोत्सव समिति ने ओरछा के बाद कुरुक्षेत्र मे भव्य रामलीला मंचन का लिया फैसला

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नई दिल्ली
जिस जगह पर भगवान श्री कृष्ण ने गीता का सार कहा था, उसी जगह पर अब मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम की लीला देखने को मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय रामलीला महोत्सव समिति ने इस बार रामलीला का मंचन कुरुक्षेत्र में करने का फैसला लिया है। इसे लेकर दिल्ली में एक बैठक हुई जिसमें इस निर्णय को अंतिम ​रूप दिया गया।

 इस आयोजन के संबंध में अंतरराष्ट्रीय रामलीला महोत्सव समिति के अध्यक्ष डॉ. वेद टंडन ने बताया कि राजा राम की नगरी ओरछा में भव्य रामलीला मंचन को भरपूर कामयाबी मिली। इस बार कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर स्थित गीता ज्ञान संस्थानम् में रामलीला मंचन का निर्णय लिया है। इस आयोजन के लिए कुरुक्षेत्र में स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज को शॉल ओढाकर व पुस्तक भेंट कर आशीर्वाद लिया। गीता ज्ञान संस्थानम् कुरुक्षेत्र के संस्थापक परम पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज की ओर से इस बार शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक गीता ज्ञान संस्थानम् में रामलीला मानचित्र करने का आशीर्वाद और अनुमति प्राप्त हुई है। कार्यक्रम स्थल ऐतिहासिक पौराणिक ब्रह्म सरोवर के निकट है। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के पावन सान्निध्य में होने वाले अंतरराष्ट्रीय रामलीला महोत्सव का सीधा प्रसारण टीवी चैनलों पर किया जाएगा।

अभी तक रामलला की नगरी अयोध्या, राजा राम की नगरी ओरछा, हिमालय नगरी ऋषिकेश तथा देश के विभिन्न भागों में राजधानी के स्कूलों के छात्रों ने उच्च कोटी की श्री रामलीला प्रस्तुत की है।

मुलाकात के दौरान सीबीएसई गर्वनिंग कमेटी की सदस्या व कमल मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहन गार्डन की प्रधानाचार्या डॉ. वंदना टंडन, प्रसिद्ध साहित्कार विनोद बब्बर, समिति के डायरेक्टर सोमनाथ पवार, मीडिया प्रभारी जय सिंह कटारिया, मेबरिक पब्लिकेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री दुर्गेश समेत अन्य गणमान्य मौजूद रहे।

 

श्रीराम और श्रीकृष्ण

श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों का जन्म अलग-अलग युगों में हुआ था। कृष्ण ने द्वापर युग में तो राम जी ने त्रेतायुग में अवतार लिया था। दोनों ही के स्वभाव में बहुत अंतर था। कृष्ण जहां बहुत ही चुलबुले, छैल छबीले थे, वहीं प्रभु श्रीराम मर्यादा पुरषोत्तम थे। दोनों में ही बहुत अंतर भले हो लेकिन बड़ी समानताएं यह है कि राम ने सत्य के लिए युद्ध कर लंका पर विजय हासिल की तो भगवान कृष्ण ने धर्म और अधर्म का युद्ध कराके अधर्म को पराजित किया। रामलीलाओं के रूप में हम भगवान श्रीराम की मर्यादाओं का चित्र विभिन्न स्थलों में आज भी देखते हैं। वहीं भगवान कृष्ण की लीला स्थली वृंदावन के बाद उस कुरुक्षेत्र में रामलीला साकार होने जा रही है जिस भूमि पर भगवान कृष्ण ने बिना शस्त्र उठाए ही धर्म और अधर्म के युद्ध में धर्म की पताका फहराने का काम किया था। ऐतिहासिक नगरी कुरुक्षेत्र गीता की प्राकट्य स्थली भी है। यही वह धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र है जहां भगवान श्रीकृष्ण का पंचजन्य गुंजा। इसी भूमि ने अर्जुन के गांडीव की टंकार सुनी तो अनेक योद्धाओं महारथियों के पराक्रम को भी देखा।

कुरुक्षेत्र का महत्व

कुरुक्षेत्र का महत्व आज भी बेहद खास है। सूर्य ग्रहण के अवसर पर देश-विदेश के लाखों लोग यहां ग्रहण स्नान को तो पहुंचते ही हैं साथ ही ग्रंथ गीता के श्लोकों की अनुभूति करते हैं। वही गीता जिसके प्रथम अध्याय के प्रथम श्लोक में धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र का उल्लेख है। वही गीत जिसमें अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाते हुए भगवान ने स्वयं को शास्त्रधारियों में श्रीराम बताया
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