मंत्री ए.के. शर्मा ने दी छठ की बधाई, बोलें- ‘सनातन में पर्व और त्योहार को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर मनाए जाते हैं’
लखनऊ में डालीगंज के संझिया घाट, पक्का पुल में भोजपुरी समिति द्वारा आयोजित पूजा महोत्सव में शामिल हुए मंत्री एके शर्मा
Indinewsline, Lucknow :
उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने कहा है कि छठ प्रकृति की पूजा अर्चना का पर्व होता है। सनातन संस्कृति में पर्व और त्योहार को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर मनाए जाते हैं। वह गुरुवार शाम को लखनऊ में डालीगंज के संझिया घाट, पक्का पुल में भोजपुरी समिति द्वारा आयोजित पूजा महोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में सम्बंधित कर रहे थे।
छठी मइया की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ
इस अवसर पर उन्होंने समिति के कार्यकर्ताओं को छठ पर्व पर पूजा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी और छठी मइया की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने छठी मैया और सूर्य भगवान से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करने की कामना की।
छठ में सभी घाटों की साफ सफाई, प्रकाश आदि की व्यवस्था नगर विकास और विद्युत विभाग कर रहा
नगर विकास मंत्री ने कहा कि छठ पर्व में सभी घाटों की साफ सफाई, प्रकाश आदि की व्यवस्था नगर विकास और विद्युत विभाग कर रहा है। कहीं पर भी कोई समस्या नहीं है। सभी जगह व्यवस्थाएं अच्छी की गई हैं। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से निवेदन किया कि इस पर्व को स्वच्छ छठ के रूप में मनाए। कूड़ा कचरा को डस्टबिन में डालें।
पूजा सामग्री को भी अर्पण कलश में डालें
इसी प्रकार पूजा सामग्री को भी अर्पण कलश में डालें न कि पानी में बहाए। इससे हम स्वच्छ छठ मनाने में अपना योगदान दे सकेंगे और नदियों व जलाशयों को गंदा होने से भी बचा पाएंगे। सभी श्रद्धालु इसका ध्यान रखेंगे।
सूर्य उपासना सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग
उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में सभी बुराइयों को खत्म करने के लिए प्रयास किए गए हैं, अभी सुधार की प्रक्रिया जारी है। सूर्य उपासना सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग है। भगवान श्री राम ने भी आदित्य स्त्रोत की स्तुति कर भगवान सूर्य की पूजा की थी। छठ पूजा में पांच तत्वों की पूजा की जाती है।
जलीय जीवन को भी बचाना बहुत जरूरी
सभी लोग अपने आसपास के वातावरण को साफ-स्वच्छ रखें। कोई भी श्रद्धालु सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करें। जल में भी प्लास्टिक और गंदी चीजे को प्रवाहित न करें, जिससे जाली जीवन के अस्तित्व में संकट पैदा हो, जलीय जीवन को भी बचाना बहुत जरूरी है।
इस घाट पर 28 वर्षों से हो रही छठ पूजा