अब इस न्यायिक जांच से मुख्तार अंसारी के मौत का खुलेगा राज, बेटे ने की थी अपील

बांदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी / एमएलए कोर्ट) गरिमा सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया, एक महीने में मांगी रिपोर्ट

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लखनऊ/बाँदा
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच होगी। इसका आदेश जारी हो गया है। मुख्तार के बेटे उमर अंसारी की अपील पर बांदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भगवान दास गुप्ता ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी / एमएलए कोर्ट) गरिमा सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। गरिमा सिंह से एक महीने में रिपोर्ट मांगी गई है।
मुख्तार अंसारी को गुरुवार की शाम जेल की बैरक में ही हार्ट अटैक आया था। बांदा के मेडिकल कॉलेज में उसे मृत घोषित कर दिया गया था। मुख्तार के भाई सांसद अफजाल अंसारी और बेटे उमर अंसारी ने जहर देकर मारने का आरोप जेल प्रशासन पर लगाया था। उमर ने बांदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी इस बारे में पत्र लिखा। मौत की न्यायिक जांच की मांग की थी।
सीजेएम के आदेश में कहा गया है कि बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने वहां सजायाफ्ता मुख्तार अंसारी की मौत की जानकारी देते हुए न्यायिक जांच के लिए अधिकारी नामित करने की अपील की थी। उनकी अपील पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी/एमएलए कोर्ट) बांदा गरिमा सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया जाता है। गरिमा सिंह मुख्तार अंसारी की मौत के सम्बन्ध में एक माह के अन्दर न्यायिक जांच नियमानुसार पूर्ण कर आख्या देंगी।
मुख्तार अंसारी के बेटे उमर ने जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में पिता को जहर देकर मारने की आशंका जताते हुए जांच की अपील की थी। उमर ने लिखा कि मेरे पिता ने 21-03-2024 को अधिवक्ता के जरिये एडीजे एमपी एमएलए कोर्ट, बाराबंकी व एमपीएमएल कोर्ट बांदा में प्रार्थना पत्र के माध्यम से न्यायालय को अवगत कराया कि मेरे पिता को खाने में ‘स्नो प्वाइजन’ दिया गया। इस घटना के 40 दिन पहले भी मुझे ऐसा जहर दिया गया था। इस जहर की वजह से मेरी हालत बिगड़ चुकी है।
26-03-2024 को जब मेरे पिता की हालत गम्भीर हो गई तब जेल प्रशासन ने मेडिकल कालेज बांदा में आनन-फानन में भर्ती कराया। सुबह 4 बजे डाक्टरों ने उनकी हालत को अति गम्भीर देखते हुए ICU में भर्ती किया। इसी बीच जेल प्रशासन के द्वारा रेडियोग्राम के माध्यत्र मुझे भी सूचना दी। मैं अस्पताल पहुंचा तो मुझे पिता को देखने भी नहीं दिया गया। इसमें भी साजिश नजर आती है।
यहकि दिनांक 26-03-2024 को जब मैं जिला अस्पताल, बाँरा पहुंचा तो प्रशासन द्वारा मुझे मेरे पिता को देखने भी नहीं दिया गया। हमें इसमें भी साजिश नजर आती है। मेरे पिता का इलाज स्वतन्त्र रूप से डाक्टरों से नहीं कराया गया। दवाब बनाकर मेरे पिता को कुछ घंटे में ही उसी जिला कारागार बांदा की तन्हाई बैरक में भेज दिया गया। ऐसे में उनका पोस्टमार्टम एम्स के पैनल के द्वारा कराया जाए।

 

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