नई दिल्ली
सफाई कामगार यूनियन (एसकेयू) ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री, राज कुमार आनंद और श्रम मंत्री, सौरभ भारद्वाज के नाम अपना एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन बुराड़ी अस्पताल के सफाई कर्मचारियों की समस्याओं के संबंध में दिया गया। ज्ञात हो कि अस्पताल में मौजूद भ्रष्टाचार और शोषण के खिलाफ सफाई कर्मचारी पिछले कई महीनों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली श्रम मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के हस्तक्षेप और उनके द्वारा जारी निर्देशों के बावजूद ठेका कंपनी और अस्पताल प्रशासन कर्मचारियों को डरा-धमका रहे हैं ताकि वो अपने अधिकारों के हनन को लेकर आवाज़ न उठाएँ और चुपचाप शोषण सहते रहें। यही नहीं अब तो कर्मचारियों जबरन एक-एक करके ड्यूटी देने से भी मना किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि पिछले दो दिनों से सफाई कर्मचारियों पर दबाव बनाकर मौजूदा कांट्रैक्ट कंपनी का टेंडर बढ़ाने और मौजूदा सुपरवाइज़रों को ही रखने के लिए जबरन हस्ताक्षर करवाया जा रहा है। साथ ही, नौकरी से निकालने की धमकी देकर उनसे उनके यूनियन, सफाई कामगार यूनियन (एसकेयू) के खिलाफ झूठा पत्र लिखवाया जा रहा है ताकि भ्रष्ट कंपनी, सुपरवाइज़रों और अस्पताल अधिकारियों का बचाव किया जा सके। यूनियन और सफाई कर्मचारियों को जानबूझकर इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि कर्मचारी अब अपने विभिन्न श्रम अधिकारों जैसे न्यूनतम वेतन, ईएसआई, पीएफ, बोनस के प्रति न सिर्फ जागरूक हुए हैं, बल्कि अपने अधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज़ भी उठा रहे हैं।
ज्ञात हो कि कांट्रैक्ट कंपनी के सुपरवाइज़र सफाई कर्मचारियों को से कह रहे हैं कि उन्हें अपने वेतन से हर महीने 3,000 रुपए कंपनी को देने होंगे वरना उनको नौकरी से निकाल दिया जाएगा। साथ ही, उनसे यह भी कहा गया है कि उन्हें हर महीने केवल 15 दिन ही ड्यूटी मिलेंगी, और उसके अनुसार ही पैसा मिलेगा। बता दें कि लंबे समय से जारी कर्मचारियों के इस संघर्ष के चलते दिल्ली सरकार के श्रम और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तरह-तरह के आश्वासन दिए गए लेकिन अभी तक भ्रष्ट कंपनी का न तो ठेका रद्द किया गया है, और न ही शोषणकारी सुपरवाइजरों व अस्पताल प्रशासन पर कोई कार्रवाई ही हुई है, जिससे इन सभी के भ्रष्ट गठजोड़ को बल मिल रहा है।
दिल्ली सरकार के संबंधित मंत्रियों को अस्पताल प्रशासन और कांट्रैक्ट कंपनी के बीच भ्रष्टाचार की मिलीभगत के बारे में मालूम होने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई न होना, उनकी भी सांठगांठ व उदासीनता को उजागर करता है। कर्मचारियों को तुरंत बहाल न किए जाने, उनके मुद्दों को लेकर अस्पताल प्रशासन और ठेका कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में सफाई कामगार यूनियन लोकसभा चुनाव से पहले सफाई कर्मचारियों के आंदोलन को तेज करने का ऐलान करता है।