झारखंड की आदिवासी पेंटिंग सोहराई, कोहबर और पौटकर पेंटिंग ने लोगो को लुभाया

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नई दिल्ली

प्रकृति की बनायीं गयी लगभग सभी वस्तुएं अनमोल, और जीव हित में होती हैं| इसी लिये हम प्राकृतिक वस्तुओं द्वारा निर्मित वस्तुओं को अधिक प्राथमिकता देते हैं| व्यापार मेले के झारखण्ड पवेलियन में सभी प्रदेशों की भाति झारखंड प्रदेश की अपनी अलग संस्कृति दिख रही है।| वेशभूषा से ले कर रहन सहन और सजावट की अलग परिपाटी है| झारखण्ड में घरो की सजावट के लिए सोहराई पेंटिंग और कोहबर पेंटिंग का इस्तेमाल किया जाता है| झारखण्ड पवेलियन में आदिवासी पैटकर पेंटिंगों का लाइव डेमो देखा जा सकता है| पेंटिंग बनाने वाले गणेश गायन के अनुसार सोहराई पेंटिंग और कोहबर पेंटिंग पूरी तरह से प्राकृतिक होती है| इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला रंग अलग अलग रंग की मिटटी को पीस कर बनाया जाता है| इसको बनाने में कई दिल लगते हैं| सोहराई पेंटिंग में कई रंगो का उपयोग किया जाता है, वहीँ कोहबर पेंटिंग सफ़ेद और काले रंग की होती है।

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