JNUSU चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट पैनल को मिली भारी जीत!

आइसा के कॉमरेड धनंजय को जेएनयूएसयू का नया अध्यक्ष चुना गया है

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नई दिल्ली 

जेएनयूएसयू चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट पैनल की जबरदस्त जीत हुई है। आइसा के कॉमरेड धनंजय ने अध्यक्ष पद पर कुल 2,598 वोट पाया है। इसी के साथ, उन्होंने 922 वोटों की बढ़त से जीत दर्ज़ की है। यह परिणाम इस देश के छात्रों और नौजवानों का जनादेश है और मोदी की नेतृत्व वाली वर्त्तमान शासन को सिरे से खारिज करती है। AISA के कॉमरेड धनंजय को भारी मतों से JNUSU के नए अध्यक्ष पद के लिए, SFI के कॉमरेड अविजीत घोष को उपाध्यक्ष, BAPSA की साथी प्रियांशी आर्य को महासचिव और AISF के कॉमरेड मो. साजिद को संयुक्त सचिव के रूप में चुना है। जेएनयू के छात्रों ने सभी पदों पर बड़े अन्तर से एबीवीपी को ख़ारिज किया है।

चार साल के लंबे अंतराल के बाद हुए इस जेएनयूएसयू चुनाव ने विश्वविद्यालय के छात्रों में लोकतंत्र की भावना और मजबूत हुई है। इसके बावजूद कि एबीवीपी-जेएनयू एडमिन मिल कर चौतरफा हमले ने कैंपस में हिंसा का माहौल उत्पन्न कर दिया था। ABVP ने स्कूल-जीबीएम के दौरान परिसर में हिंसा की, डीओएस को उनके कार्यालय में बंधक बनाया और मतदान होने से कुछ घंटे पहले कामरेड स्वाति सिंह की उम्मीदवारी रद्द करवा दिया, जो यूनाइटेड लेफ्ट पैनल से महासचिव पद के लिए चुनाव लड़ रही थीं। इसको देखते हुए जेएनयू के छात्र-छात्राएं एक साथ विभाजनकारी और छात्र-विरोधी ताकतों के सामने खड़े रहें और उन्होंने एक ऐसे जेएनयूएसयू का चुनाव किया, जो कैंपस में बहस, आलोचनात्मक सोच और लोकतंत्र को बढ़ावा देगा। जो छात्रों के मुद्दो पर संघर्ष करेगा।

केंद्र की भाजपा सरकार इस देश की जनता पर लगातार हमला कर रही है। हालाँकि, जैसाकि जेएनयूएसयू के नवनिर्वाचित अध्यक्ष, कॉमरेड धनंजय ने प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान अपने भाषण में कहा था कि “यह मोदी सरकार पर एक जनमत संग्रह है और यह चुनाव उन किसानों के लिए लड़ा जा रहा है, जो कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ लड़ रहे हैं, उन श्रमिकों के लिए जो अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, दलित जो अपने सम्मान के लिए लड़ रहे हैं, छात्र जो सस्ती और समान शिक्षा के लिए लड़ रहे हैं एवं युवा जो सम्मानजनक रोजगार के लिए लड़ रहे हैं, के पक्ष में लड़ा जा रहा है।”

आरएसएस-एबीवीपी-जेएनयू प्रशासन द्वारा जेएनयू के लोकतांत्रिक स्पेस को दबाने एवं उसे खत्म करने के सभी प्रयासों के बावजूद, जहां छात्रों पर कार्रवाई की गई और उन्हें जेल में डाल दिया गया, जेएनयू इन सभी प्रतिकूलताओं के बीच मजबूती से खड़ा है। प्रोपेगैंडा के तौर पर बनाई जा रही ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ और ‘जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी’ जैसी फिल्मों के रूप में जेएनयू पर लगातार हो रहे हमले जारी है।

इसके खिलाफ मजबूती से खड़ा होना ही वक्त की मांग है। छात्र और नवनिर्वाचित जेएनयूएसयू अब इस कैंपस को शिक्षा के निजीकरण के चंगुल से बचाने के लिए लड़ेंगे! लोकतंत्र- संविधान को बचाने के लिए चल रहे संघर्ष में अग्रिम भूमिका निभाएंगे।

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