Indinewsline, Lucknow:
दो माह पहले नगर विकास के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के बावजूद मांगों पर सुनवाई नहीं होने से प्रदेश के निकाय कर्मियों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। इससे नाराज उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने आन्दोलन की चेतावनी दी है।
महासंघ ने कहा है कि जनवरी माह 2025 तक 13 सूत्रीय मांगों पर सुनवाई नहीं होती है तो प्रदेश स्तरीय आन्दोलन के तहत सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व शासन तथा स्थानीय प्रशासन की होगी।
कई वर्षों से समस्याओं को लेकर कर रहे हैं आन्दोलन, सरकार और अफसर कर रहे अनसुना
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने बताया कि पिछले कई वर्षों से समस्याओं को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं। उस पर प्रदेश सरकार व शासन तथा निदेशालय के अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
महासंघ के प्रतिनिधियों ने गत दिनों प्रदेश स्तरीय जनजागरण व कर्मचारी संदेश यात्रा के माध्यम से निकाय कर्मियों की सेवा सम्बधी व अन्य के समाधान के लिए बहुत सारी समस्याओं का 13 सूत्रीय मांग पत्र शासन के समक्ष सौंपा था। पर, आज कई वर्षों बाद भी यथावत यह समस्याएं बनी हुई हैं। जिसका समाधान नहीं हो सका है।
समय रहते आदेश जारी करने का किया गया था अनुरोध
गत दिनों पुन: महासंघ ने नगर विकास मंत्री, विभाग के प्रमुख सचिव एवं स्थानीय निकाय निदेशक से मुलाकात कर पत्र देते हुए समय रहते जनवरी माह 2025 तक आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया था। प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने बताया कि ऐसा देखने में आ रहा है कि प्रदेश सरकार व शासन निकाय कर्मियों की समस्याओं पर गम्भीर नहीं दिख रहा। क्योंकि आज भी सभी मांगों से सम्बन्धित पत्रावलियां अनुभागों में ही कैद है।
अब इन परिस्थितियों में आन्दोलन ही विकल्प
शशि कुमार मिश्र ने बताया कि इन परिस्थितियों में महासंघ ने आन्दोलन करने का निर्णय लिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि जनवरी माह 2025 तक भेजे गए मांग पत्र की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो महासंघ पुन: एकजुटता के साथ प्रदेश स्तरीय आन्दोलन करने पर मजबूर होगा। सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व शासन तथा स्थानीय प्रशासन की होगी।
ये हैं प्रमुख मांगे, जिनपर नहीं हो रही सुनवाई
प्रमुख रूप से अकेन्द्रियत सेवा नियमावली बनाने, वर्ष 2001 तक कार्यरत सभी संवर्ग के दैनिक वेतन, संविदा व तदर्थ के कर्मचारियों का विनियमतीकरण, सातवें वेतनमान में वेतन विसंगति, लिपिक एवं राजस्व आदि कैडर का पुनर्गठन, कैशलैस इलाज, सफाई सहित अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति, रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा शर्तें, न्यूनतम वेतनमान आदि 13 सूत्रीय मांगें शामिल हैं। जिनपर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।