UP के सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी चला रहे निजी अस्पताल, नहीं है किसी का डर

महज हा​जरी लगाने जाते कार्यालय, कर्मचारी भी रहते हैं डरे-डरे

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लखनऊ
उत्तर प्रदेश में जहां कुख्यात अपराधी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगे घुटने टेक सीधे रास्ते पर चलने को मजबूर हैं। उसी प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी आज भी पुराने ढर्रे पर जनता के साथ अपराध कर रहे हैं। ये स्वास्थ्य अधिकारी मोटा वेतन तो यूपी सरकार से लेते हैं, लेकिन पूरा समय अपने निजी अस्पताल को चलाने में देते हैं। यह अधिकारी केवल हाजिरी लगाने ही म​हीने में एक-दो दिन कार्यालय में चक्कर मार लेते हैं।
ऐसा ही एक मामला सिद्धार्थ नगर जिले के उस्का बाज़ार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी (एमओआईसी) डॉ. शिवेस्ट कुमार पटेल पर लगा है। इन पर आरोप है कि यह सीएचसी के केवल हाजिरी लगाने जाते हैं। यह अपना पूरा समय सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ स्थित सरदार पटेल जन सेवा अस्पताल और नौगढ़ स्थित एपेक्स एसवीपी मेमोरियल अस्पताल को देते हैं। ऐसा आरोप है कि यह दोनों ही अस्पताल इन्हीं के हैं और पूरा समय इन्हीं को चलाने में देते हैं।
इस मामले में जब डॉ. शिवेस्ट कुमार पटेल से उपका पक्ष जानने के लिए बात की गई तो उन्होंने दबे स्वर में माना कि दोनों अस्पताल उन्हीं के हैं। हालांकि बाद में बोला कि उनका अस्पताल नहीं हैं। डॉ पटेल से बातचीत की फोन रिकाडिंग संस्थान के पास मौजूद है।
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि गरीब जनता टैक्स देती है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले, लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारी सिस्टम को खराब कर देते है। लोगों का कहना है कि यह जांच का विषय है और इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए। जांच के बाद यदि डॉ पटेल दोषी पाए जाते है तो उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजना चाहिए। साथ ही उनके दोनों निजी अस्पताल को सील कर देना चाहिए।

जांच में हो जाएगा सब साफ
लोगों कहना है कि केंद्र व आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे से पता चल जाएगा कि डॉ. शिवेस्ट कुमार पटेल कितनी देर सीएचसी में रहते है।

पिछले छह माह में डॉ. पटेल के फोन के लोकेशन से भी पता चल जाएगा कि वह कितना समय सीएचसी को देते हैं।

फोरेंसिक जांच से पता चल जाएगा कि डॉ पटेल हाजरी लगाने रोज आते थे या एक दिन में ही पूरे माह की हाजिरी बनाकर जाते हैं।

डॉ पटेल के आर्थिक संपत्ति का भी जांच होनी चाहिए। इस जांच से पता चल जाएगा कि अधिकारी बनने से पहले उनके या उनके परिवार के पास कितनी संपत्ति थी। बाद में कुल कितनी संपत्ति हो गई। यदि संपत्ति बढ गई है तो आय का स्त्रोत बताना होगा, यदि नहीं बता पाए तो जनता का पैसा लौटाना होगा।

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