UP में 1.97 लाख HIV संक्रमित, इसमें 1.20 लाख सभी जनपदों में ART से करा रहे इलाज

UPSACS के तत्वावधान में सोसाइटी सभागार में HIV/AIDS पर मीडिया के लिए कार्यशाला

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Indinewsline, Lucknow:
उत्तर प्रदेश में अनुमानित 1.97 लाख लोग HIV संक्रमित हैं, जिनमें से लगभग 1.20 लाख सभी जनपदों में स्थापित ART केंद्रों के माध्यम से इलाज करा रहे हैं। यह जानकारी संयुक्त निदेशक (प्रिवेंशन) रमेश श्रीवास्तव ने दी। वह शुक्रवार को उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (UPSACS) के तत्वावधान में सोसाइटी सभागार में HIV/AIDS पर मीडिया प्रतिनिधियों के लिए जागरूकता कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला का उद्देश्य
HIV/AIDS के प्रति जागरूकता फैलाने और इससे जुड़े सामाजिक भेदभाव को खत्म करने में मीडिया की सक्रिय भूमिका को रेखांकित करना था।

HIV/AIDS के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करना अत्यंत आवश्यक


संयुक्त निदेशक (प्रिवेंशन) रमेश श्रीवास्तव ने कहा कि HIV/AIDS के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना और सही जानकारी को जन-जन तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि इस दिशा में मीडिया का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है और जागरूकता बढ़ाने में मीडिया एक प्रभावी माध्यम बन सकता है।

2030 तक एड्स को समाप्त करने का लक्ष्य


संयुक्त निदेशक-BSD डॉ. गीता अग्रवाल ने बताया कि 2030 तक एड्स को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है और इस दिशा में वर्ष 2025-26 बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नए संक्रमणों में 80 फीसद की कमी लाना, एड्स से होने वाली मृत्यु दर को घटाना और HIV संक्रमित माताओं से बच्चों में संक्रमण का खतरा पूरी तरह समाप्त करना प्रमुख प्राथमिकताएं हैं।

राज्य में HIV जांच के लिए 399 ICTC उपलब्ध


डॉ. गीता ने उत्तर प्रदेश में एड्स से संबंधित सुविधाओं की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि राज्य में HIV जांच के लिए 399 इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (ICTC) उपलब्ध हैं। इसके अलावा, 52 ART (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी) केंद्रों पर उपचार की सुविधा दी जा रही है। राज्य में 35 संपूर्ण सुरक्षा केंद्र और 115 STI/RTI (यौन संचारित संक्रमण/प्रजनन मार्ग संक्रमण) केंद्र भी कार्यरत हैं, जो एड्स और इससे जुड़ी अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मददगार साबित हो रहे हैं।

संक्रमण का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित शारीरिक संबंध


एड्स के खतरों के बारें में जानकारी देते हुए संयुक्त निदेशक (केयर सपोर्ट एवं उपचार सेवा) डॉ. A. K. सिंघल ने बताया कि संक्रमण का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित शारीरिक संबंध है, जो 83 फीसद मामलों के लिए जिम्मेदार है। वहीं, लगभग 6.3 फीसद मामलों में यह संक्रमण संक्रमित सुई के उपयोग से फैलता है।

सुरक्षा क्लीनिक और अन्य बुनियादी सेवाओं से जुड़ी जानकारी साझा की


इस दौरान (संयुक्त निदेशक-STI) डॉ. चित्रा सुरेश ने सुरक्षा क्लीनिक और अन्य बुनियादी सेवाओं से जुड़ी जानकारी साझा की। इसके अलावा उप निदेशक (IEEC) पवन चंदेल और सहायक निदेशक (D&P) अनुज दीक्षित भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में विभिन्न मीडिया कर्मियों ने सक्रिय भागीदारी की। एक खुली चर्चा में प्रतिभागियों ने शंकाओं और सुझावों को खुलकर साझा किया।

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