लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के नौ माह से पांच साल तक के बच्चों को कुपोषण समेत अन्य बीमारियों से बचाने के लिए विटामिन ‘A’ की खुराक पिलाया जा रहा है। इस अभियान में 2.58 करोड़ बच्चों को विटामिन ‘A’ की खुराक पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 26 जून से इस विटामिन ‘A’ सम्पूर्ण अभियान की शुरूआत की गई है जो अगले माह 25 जुलाई तक चलेगा। बच्चों को कुपोषण सहित अन्य बीमारियों से बचाना हमारी प्राथमिकता: प्रमुख सचिव
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि बच्चों को कुपोषण सहित अन्य बीमारियों से बचाना हमारी प्राथमिकता है और इसी क्रम में विटामिन ‘A’ सम्पूर्ण कार्यक्रम एक पहल है। उन्होंने बताया कि इसके तहत पिछले 10 सालों में हम 53 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत बच्चों को विटामिन ‘A’ की खुराक पिलाने में सफल रहे। 2.58 करोड़ बच्चों को विटामिन ‘A’ की खुराक पिलाने का लक्ष्य: डॉ. अजय गुप्ता
राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग पूरी तरह तैयार है। इस बार नौ माह से पांच साल तक के 2.58 करोड़ बच्चों को विटामिन ‘A’ की खुराक पिलाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग व ICDS के जिला स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है जो कि जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और हितधारकों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। बाल स्वास्थ्य के लिये महत्वपूर्ण एवं उपयोगी अभियान: डॉ. मनोज कुमार शुक्ल
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नियमित टीकाकरण के महाप्रबंधक डॉ. मनोज कुमार शुक्ल ने बताया कि विटामिन ‘A’ अभियान बाल स्वास्थ्य के लिये एक महत्वपूर्ण एवं उपयोगी कार्यक्रम है। इसके तहत नौ माह से पांच साल के बच्चों को साल में दो बार अभियान चलाकर विटामिन ‘A’ की खुराक पिलाई जाती है। विटामिन ‘A’ बच्चों को रतौंधी, अंधेपन, दस्त और निमोनिया जैसी गंभीर और प्राणघातक बीमारियों से तो बचाता ही है। साथ ही रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ा कर बाल मृत्यु दर पर अंकुश लगाने में भी मदद करता है।
उन्होंने बताया कि बच्चों को विटामिन ‘A’ की खुराक देने से रेस्पेरेटरी ट्रैक यानि श्वसन तंत्र एवं अन्य स्थानों पर स्थिति एपिथीलियल लेयर के मजबूत होने से किसी भी संक्रमण की संभावना कम होती है। ऐसा बैक्टीरिया व वायरस के श्वसन तंत्र से भीतर जाने की गुंजाइश के काफी कम होने से होता है।
विटामिन ‘A’ पीले, लाल और हरे फलों तथा सब्जियों में पाया जाता है। इसलिए आम, पपीता, गाजर, पालक आदि के सेवन जरूर करें और बच्चों को भी इनका सेवन कराना सुनिश्चित करें।