UP NHM और आशा बहुओं को EPF सुविधा देने की मांग, कर्मचारी संघ ने सम्बंधित कमिश्नर भेजा पत्र
जन मानस को उपचार सेवाओं में विशेष लाभ प्राप्त मिलना NHM कर्मियों के सेवाभाव का ही परिणाम- योगेश
लखनऊ, रिपोर्टर।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना (NHM) के तहत कार्यरत संविदा कर्मचारियों और आशा बहू को EPF का लाभ दिए जाने की मांग की गई है। संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के यूपी महामंत्री योगेश उपाध्याय ने बताया कि कर्मचारियों के EPF के संबंध में कमिश्नर EPF को पत्र भेजा गया है। इसमें मांग की गई है कि वर्ष 2005 में NHM योजना के तहत संविदा पर डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, आशा बहु व कार्यालयों में कार्यरत विभिन्न श्रेणी के कर्मचारी कार्यरत हैं। इन सभी का EPF कटौती कराया जाए। यदि किसी कार्मिक का मासिक वेतन 15 हजार रुपए से अधिक है तो उनके EPF की कटौती 15 हजार रुपए मूल आधार मानकर की जाए, जैसा कि बिहार राज्य में NHM कर्मचारियों पर लागू है।
पत्र में लिखा है कि योजना के तहत कार्यरत कर्मचारी जटिल से जटिल परिस्थितियों में भी गुणवत्तापूर्ण एवं सेवाभाव से कार्य करते हुए जन समुदाय को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। कोविड-19 जैसी महामारी काल में भी नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की है। चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग अंतर्गत शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य सेवाएं, नियमित टीकाकरण, कोविड-19 महामारी टीकाकरण एवं उपचार गतिविधियाँ जैसी अनेक गतिविधियों में NHM कर्मियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। जन मानस को उपचार सेवाओं में विशेष लाभ प्राप्त होना NHM कर्मियों के अथक सेवाभाव का ही परिणाम है।
अल्प वेतन होने के कारण NHM कर्मचारी खुद व अपने परिवार के भविष्य के प्रति ससंकित रहते हैं। साथ ही परिवार के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन भी नहीं कर पाते है। नौकरी की अनिश्चितता के कारण अत्यधिक परेशान रहते है। अल्प वेतन में परिवार की उचित प्रकार से देखभाल, बच्चों की शिक्षा- दीक्षा, पालन- पोषण तो संभव हो ही नहीं पाता। साथ ही जनपदों में निजी विद्वेष भावना से ग्रसित अधिकारियों की मनमानी के कारण
अकारण ही सेवा से अलग कर दिए जाने पर स्वास्थ्य विभाग में अपनी आयु के 40- 42 वर्ष पूर्ण कर चुके संविदा कर्मचारियों के सामने भरण- पोषण तक की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
अल्प वेतन होने की वजह से जीवन यापन में अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ता है और अपने और अपने परिवार के भविष्य की सुरक्षा के लिए किसी प्रकार का वित्तीय संकलन करना संभव नहीं हो पाता है। न ही विभाग की तरफ से किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्रदान किया जा रहा है।