उत्तर प्रदेश में शहरी और क्षेत्रीय योजना: चुनौतियाँ और संभावनाएँ – अर. रुद्राक्षी तिवारी

240 मिलियन से अधिक की आबादी वाले इस राज्य में विशाल ग्रामीण क्षेत्र और तेजी से बढ़ते शहर, दोनों मौजूद

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उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, शहरी और क्षेत्रीय योजना के संदर्भ में अद्वितीय चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है। 240 मिलियन से अधिक की आबादी वाले इस राज्य में विशाल ग्रामीण क्षेत्र और तेजी से बढ़ते शहर, दोनों मौजूद हैं। इस दोहरे स्वभाव के कारण, योजना निर्माताओं के सामने यह चुनौती है कि वे शहरी विकास को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों का भी ध्यान रखें। सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश अपने शहरीकरण को कैसे सुनिश्चित कर सकता है ताकि वह स्थायी हो, समानता सुनिश्चित करे और राज्य के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों के अनुरूप हो।

उत्तर प्रदेश की शहरी और क्षेत्रीय योजना की शुरुआत स्वतंत्रता के बाद हुई, जब राज्य औपनिवेशिक शासन से मुक्त होकर आधुनिकीकरण की चुनौतियों का सामना कर रहा था। उस समय औद्योगिकीकरण ने शहरी विकास की गति को तेज किया। कानपुर, लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों में औद्योगिक गतिविधियों के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ी, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में प्रारंभिक नियोजन प्रयास शुरू हुए।

1973 का उत्तर प्रदेश शहरी योजना और विकास अधिनियम, राज्य के शहरी नियोजन के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इस अधिनियम ने संगठित शहरी विकास की नींव रखी। हालांकि, जनसंख्या के बढ़ते दबाव और शहरों की ओर पलायन के कारण कई शहरों में अनियोजित विकास हुआ, जिससे बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव पड़ा।

लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जैसे शहर उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र हैं, लेकिन यह देखा गया है कि शहरी विस्तार की गति नियोजित विकास से काफी अधिक है। नतीजतन, बुनियादी ढांचे में कमी, पर्यावरणीय क्षरण, और सार्वजनिक सेवाओं का अभाव आम समस्याएँ बन गई हैं।

शहरी और क्षेत्रीय योजना की प्रमुख चुनौतियौं में सबसे बड़ी चुनौति जनसंख्या दबाव है। उत्तर प्रदेश की 240 मिलियन से अधिक की आबादी इसे भारत का सबसे घनी आबादी वाला राज्य बनाती है, लेकिन यह इसके शहरी क्षेत्रों पर भारी दबाव डाल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन ने स्थिति को और खराब कर दिया है। परिणामस्वरूप, शहरों में आवास, परिवहन, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की माँगों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है, जिससे शहरी बुनियादी ढांचा चरमरा रहा है।

उत्तर प्रदेश के शहरों में तेजी से विस्तार हो रहा है, लेकिन यह विस्तार काफी हद तक अनियोजित है। जैसे-जैसे शहर फैलते जा रहे हैं, शहरी फैलाव एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। अनियंत्रित निर्माण, अपर्याप्त सड़कों और अक्षम सार्वजनिक सेवाओं का फैलाव इन समस्याओं को और जटिल बनाता है। परिणामस्वरूप, शहरों में भीड़भाड़ और प्रदूषण जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं।

प्रदेश में तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण पर्यावरणीय क्षरण की गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। वनों की कटाई, जल प्रदूषण, और कचरा प्रबंधन की कमी बड़े शहरों की समस्याएँ हैं। विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे स्थित शहर, जैसे कि वाराणसी, जल प्रदूषण और हरित क्षेत्रों के अतिक्रमण से जूझ रहे हैं। राज्य के कई हिस्सों में ठोस अपशिष्ट और अनुपचारित सीवेज नदियों में मिलकर पर्यावरणीय संकट पैदा कर रहे हैं।

शहरी और ग्रामीण विकास के बीच एक बड़ा अंतर है। राज्य की लगभग 80% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहाँ तक बिजली, स्वच्छ जल और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सीमित है। इस विभाजन के कारण, ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा हो रही है, जिससे असंतुलित क्षेत्रीय विकास हो रहा है।

राज्य के अधिकांश शहरों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचा जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप नहीं है। पानी की आपूर्ति, स्वच्छता, और परिवहन सेवाओं में कमी है। कानपुर और प्रयागराज जैसे शहर जल संकट और यातायात की भीड़ से जूझ रहे हैं, जबकि सार्वजनिक परिवहन सुविधाएँ या तो उपलब्ध नहीं हैं या पूरी तरह से अपर्याप्त हैं।

उत्तर प्रदेश की शहरी और क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न नीतियाँ और परियोजनाएँ शुरू की हैं। इनमें प्रमुख योजनाएँ स्मार्ट सिटीज़ मिशन और अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) हैं। स्मार्ट सिटीज़ मिशन का उद्देश्य शहरी बुनियादी ढांचे को सुधारना और शहर प्रबंधन में तकनीक का उपयोग करना है। लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जैसे शहर इस मिशन का हिस्सा हैं, जिसमें परिवहन सुधार, कचरा प्रबंधन और बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

शहरी बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) भी एक महत्वपूर्ण कदम है। लखनऊ मेट्रो और राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएँ ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं जहाँ सरकार और निजी कंपनियों के बीच सहयोग से शहरी परिवहन और बुनियादी ढांचे में सुधार हो रहा है।

प्रमुख परियोजनाएँ से एक लखनऊ मेट्रो है। राज्य की सबसे बड़ी शहरी परिवहन परियोजनाओं में से एक है, जिसने शहर में परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाया है। इससे न केवल यात्रा के समय में कमी आई है, बल्कि प्रदूषण भी घटा है। वाराणसी स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत बड़े बदलावों का सामना कर रहा है। इसके तहत शहर के पर्यटन ढांचे में सुधार, सार्वजनिक सेवाओं की बेहतरी, और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।

अयोध्या को धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। अयोध्या मास्टर प्लान का उद्देश्य इसे एक आधुनिक शहर के रूप में विकसित करना है, जिसमें धार्मिक पर्यटन के साथ शहरी बुनियादी ढांचे का सामंजस्यपूर्ण विकास किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश शहरी और क्षेत्रीय योजना के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। आने वाले वर्षों में राज्य को सतत और संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिए अपनी योजनाओं में ग्रामीण-शहरी संतुलन को प्राथमिकता देनी होगी।

 

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