सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण में उप-वर्गीकरण के फैसले का स्वागत करते हुए इसे उत्तर प्रदेश में लागू करवाने की मांग की गई है। आरक्षण में वाल्मीकि समाज एवं उसकी उपजातियों को पांच प्रतिशत हिस्सेदारी देकर प्राथमिकता के तहत तत्काल लागू करने की बात कही गई है।
भारत रत्न अम्बेडकर सेवा संस्थान के मुख्य संयोजक जगदीश अटल वाल्मीकी ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मांग पत्र भेजा है। उन्होंने कहा है कि वाल्मीकि समाज एवं उसकी उपजातियों को आरक्षण में पांच प्रतिशत प्राथमिकता के तहत तत्काल लागू किया जाए।
अनुसूचित जाति के महादलित वाल्मीकि समाज एवं उसकी उपजातियों को आरक्षण में पांच प्रतिशत प्राथमिकता के तहत तत्काल लागू किया जाए
मुख्य संयोजक ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए। अनुसूचित जाति के महादलित वाल्मीकि समाज एवं उसकी उपजातियों को आरक्षण में पांच प्रतिशत प्राथमिकता के तहत तत्काल लागू किया जाए। ताकि अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके। इससे पं. दीन दयाल उपाध्याय का सपना साकार भी हो सकेगा।
77 वर्षों बाद भी वाल्मीकि, धानुक, हेला, डोम आदि को नहीं मिला आरक्षण का लाभ
जगदीश अटल वाल्मीकि ने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हुए कहा कि संविधान द्वारा प्राप्त अनुसूचित जातियों को 15.5 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा दी, लेकिन संविधान को लागू होने के 77 वर्षों बाद भी वाल्मीकि, धानुक, हेला, डोम आदि की भारतवर्ष में लगभग 20 करोड़ जनसंख्या वाले समाज को उसके अनुपात में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है। जिसकी वजह से आज भी भूमिहीन होने से नदी-नाले, तालाबों के किनारे अपना जीवन निर्वाहन कर रहे हैं तथा राजनैतिक, शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़ कर दलितों में भी अति दलित बन कर रहे गये हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आरक्षण उप-वर्गीकरण के फैसले से भविष्य में अति दलितों को भी लाभ मिल सकेगा।
संगोष्ठी में ये लोग रहे शामिल
संगोष्ठी को संस्थान के संयोजक सदस्य शत्रोहन लाल वाल्मीकि, राकेश कोतवाल, बृजेश चौधरी, मदन लाल मधुर, ज्ञान बाबू, श्याम लाल धानुक, चौधरी ज्योतिलाल वाल्मीकि, राममिलन कनौजिया, एड. कुणाल चौधरी, आदर्श न्याय समाज तथा समाजसेवी अजय बागड़ी, सुनील एम.ए. गौतम वाल्मीकि आदि ने भी सम्बोधित किया। संचालन संयोजक मंडल सदस्य राम कुमार बागी ने किया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों के आरक्षण में उप-वर्गीकरण का फैसला सुनाया है। इस फैसले की देशभर में चर्चा हो रही है। सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से सुनाए ऐतिहासिक फैसले में अनुसूचित जातियों के लिए तय आरक्षण में उप-वर्गीकरण की अनुमति दी है। इससे अब तक पूरी तरह हाशिये पर रहे समूहों को व्यापक फायदा मिलेगा।