विश्व दिव्यांग दिवस: राज्य पुरस्कार से सम्मानित ‘अरविंद’ का छलका दर्द, KGMU से भी नहीं मिल रहा न्याय

KGMU प्रशासन ने पुरस्कार को महत्व न देकर उसकी गरिमा को तार- तार किया

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लखनऊ। KGMU यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में तैनात रहे प्रोस्थेटिक एंड ऑर्थोटिक अरविंद निगम को दिव्यांगजन उपकरणों में शोध एवं विशिष्ट सेवा के व्यक्ति विशेष सम्मान से साल 2009 में सम्मानित किया गया था। लेकिन KGMU प्रशासन ने कोई महत्व न देकर उस पुरस्कार की गरिमा को तार- तार कर दिया। यहां तक कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी पांच साल की सेवा में वृद्धि नहीं की गई। KGMU प्रशासन अपनी जिद पर अड़ा है। इसके बावजूद अरविंद सघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे पुरस्कारों का क्या है…जो व्यक्ति की प्रतिभा पर दिए तो जाते हैं पर उनको उपेक्षित भी किया जाता है…!
विश्व दिव्यांग दिवस पर अरविन्द निगम ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा किया। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दिव्यांगों में जागरूकता लाना है। साथ ही उनके प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव करना भी है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दिव्यांगता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रहे लोगों को सम्मानित भी किया जाता है। सरकार की तरफ से लोगों को यह सम्मान दिव्यंगता के क्षेत्र में किये गये विभिन्न कार्य को लेकर दिया जाता है।
अरविंद निगम कुछ साल पहले तक KGMU के लिंब सेंटर में कार्यरत थे। यहीं पर दिव्यांगों के लिए किये गये कार्यों के लिए उन्हें सम्मानित किया गया था, लेकिन वह अब अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहें हैं। अपनी उपेक्षा का आरोप उन्होंने KGMU प्रशासन पर लगाया है। उन्होंने अपना दर्द सोशल मीडिया पर भी साझा किया है।


सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा करते हुये लिखा कि आज अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस है जिसको पहले विश्व विकलांग दिवस के नाम से जाना जाता था। आज के दिन दिव्यांगता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रहे विशेषज्ञ लोगों को अति विशिष्ट राज्य पुरस्कार से मुख्यमंत्री जी द्वारा सम्मानित किया जाएगा। पर, जो हम कहना चाहते हैं वो ये है कि इतने बड़ा पुरस्कार और उपलब्धि हासिल करने के बाद भी ऐसे पुरस्कार धारकों को सरकार द्वारा उपेक्षित छोड़ दिया जाता है।
उन्होंने आगे लिखा कि ऐसे लोगों को सम्मान मिलने के बाद भी लाभ उनके सर्विस कार्यकाल में नहीं दिया जाता। जैसे जब शिक्षकों को राज्य पुरस्कार मिलता है तो उनको 1 वेतन वृद्धि, 3 से 5 साल की सेवा वृद्धि वा अन्य सुविधा मिलती है। ऐसे ही पुलिस सेवा या अन्य सेवा में जब राज्य या केंद्र पुरस्कार मिलता है तो सरकारी सेवकों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रोन्नति या अन्य लाभ मिलते हैं पर दुर्भाग्य की दिव्यांगजन सेवा में कार्यरत विशिष्ट राज्य पुरस्कार पाने वालों को सरकार कोई लाभ नहीं देती है।
ऐसा ही एक पुरस्कार से हमे दिव्यांगजन उपकरणों में शोध एवं विशिष्ट सेवा के लिए व्यक्ति विशेष सम्मान से साल 2009 में सम्मानित किया गया था, लेकिन KGMU संस्था ने उसको कोई महत्व न देकर उस पुरस्कार की गरिमा को तार-तार कर दिया। यहां तक उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी 5 साल की सेवा वृद्धि नहीं दी गई। अपनी जिद पर KGMU प्रशासन अड़ा है, बहरहाल सघर्ष जारी है, पर प्रतिभा का दोहन भी जारी है…ऐसे पुरस्कारों का क्या है… जो व्यक्ति की प्रतिभा पर दिए तो जाते हैं पर उनको उपेक्षित भी किया जाता है…!

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